हाथरस में रहने वाले लड़के के पिता और मेडिकल प्रतिनिधि संचित शर्मा ने इस घटना के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि इन वस्तुओं को निकालने के बाद उनके इकलौते बेटे आदित्य शर्मा की मौत हो गई।- आदित्य कक्षा 9 का छात्र था, उसकी मौत ने परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उन्होंने बताया कि सफदरजंग अस्पताल में सर्जरी के एक दिन बाद आदित्य की मौत हो गई।
जयपुर में चला इलाज
संचित शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश, जयपुर और दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में आदित्य पर कई मेडिकल जांच की गई, जिसमें उसके पेट के अंदर 56 वस्तुएं होने की पुष्टि हुई। समस्या का पता कैसे चला, इस बारे में बात करते हुए परिवार ने बताया कि पेट दर्द और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद आदित्य को शुरू में हाथरस के एक स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया था। चिकित्सकीय सलाह के बाद, उसे जयपुर के एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां उसे थोड़े समय के उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। हालांकि, उसके लक्षण फिर से उभर आए।
पहले जयपुर में हुई सर्जरी
जयपुर से, परिवार आदित्य को अलीगढ़ के एक अस्पताल में ले गया, जहां उसकी सांस लेने की तकलीफ को कम करने के लिए उसकी सर्जरी की गई। परिवार ने बताया कि 26 अक्टूबर को सर्जरी के बाद अल्ट्रासाउंड में आदित्य के शरीर के अंदर लगभग 19 वस्तुओं की मौजूदगी का पता चला, जिसके बाद डॉक्टरों ने उसे नोएडा में एक और उन्नत सुविधा के लिए रेफर कर दिया।नोएडा में, एक और स्कैन में 56 धातु के टुकड़े पाए गए, जिसके बाद उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहाँ लड़के के परिवार के अनुसार 27 अक्टूबर को उसकी सर्जरी हुई।
डॉक्टर भी हैरान
शोकग्रस्त पिता ने इस बात पर जोर दिया कि डॉक्टरों ने आदित्य को बचाने की हर संभव कोशिश की थी, लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था। संचित ने कहा, “दिल्ली के अस्पताल में सर्जरी के एक दिन बाद मेरे बेटे की मौत हो गई, क्योंकि उसकी हृदय गति बढ़ गई थी और उसका रक्तचाप बहुत कम हो गया था।” उन्होंने आगे कहा, “डॉक्टरों ने बताया कि दिल्ली के इस अस्पताल में सर्जरी के दौरान मेरे बेटे के शरीर से करीब 56 वस्तुएं निकाली गईं। बाद में, तीन और वस्तुएं निकाली गईं, जिससे डॉक्टर हैरान रह गए, जिन्होंने स्वीकार किया कि वे इस बात से हैरान थे कि यह चिकित्सकीय रूप से कैसे संभव था।” संचित ने यह भी बताया कि आदित्य के मामले ने डॉक्टरों को हैरान कर दिया, क्योंकि उसके मुंह या गले के अंदर चोट के कोई निशान नहीं थे, जिससे पता चले कि उसने जानबूझकर या गलती से ये चीजें खाई थीं।