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सास-पत्नी की फोन रिकॉर्डिंग को पति ने किया पेश तो कोर्ट बोला- बिना सहमति के…

Himachal Pradesh High Court: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि टेलीफोन पर बातचीत का अधिकार निजता (प्राइवेसी) के अधिकार के दायरे में आता है।

शिमलाNov 05, 2024 / 12:18 pm

Shaitan Prajapat

Himachal Pradesh High Court

Himachal Pradesh High Court

Himachal Pradesh High Court: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि टेलीफोन पर बातचीत का अधिकार निजता (प्राइवेसी) के अधिकार के दायरे में आता है। बिना वैध अनुमति के बातचीत की रिकॉर्डिंग साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं है। जस्टिस बिपिन चंद्र नेगी ने अपने आदेश में कहा कि टेलीफोन पर बातचीत किसी व्यक्ति के निजी जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, अपने घर या कार्यालय में बिना किसी दखल के टेलीफोन पर बातचीत करने के अधिकार को निश्चित रूप से गोपनीयता व निजता के अधिकार के रूप में दावा किया जा सकता है।

अवैध रिकॉर्डिंग साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं

कोर्ट ने यह फैसला एक पति की याचिका खारिज करते हुए दिया, जिसने अपनी पत्नी और उसकी मां के बीच हुई टेलीफोन बातचीत की रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के रूप में पेश किया था। अदालत ने कहा कि यह रिकॉर्डिंग निजता के अधिकार के उल्लंघन के कारण अवैध है, इसलिए यह साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं है।
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टेलीफोन बातचीत निजता के अधिकार में शामिल

टेलीफोन टैपिंग या साक्ष्य एकत्र करने के ऐसे अवैध तरीके भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं, जब तक कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के तहत इसकी अनुमति न दी गई हो। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पुट्टूस्वामी मामले में दिए फैसले के हवाले से कहा कि निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है।
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हिंदू-मुस्लिम अफसरों के व्हाट्सएप ग्रुप बनने की जांच

तिरुवनंतपुरम। केरल सरकार और पुलिस धर्म के आधार पर आईएएस अफसरों के व्हाट्सएप ग्रुप बनाए जाने के मामले की जांच कर रही है। दरअसल उद्योग एवं वाणिज्य निदेशक के.गोपालकृष्णन के फोन नंबर से ‘मल्लू हिंदू ऑफिसर्स’ और ‘मल्लू मुस्लिम ऑफिसर्स’ नाम से दो व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए। गोपालकृष्णन ने तिरुवनंतपुरम पुलिस को शिकायत की कि उनका फोन हैक कर इन दो ग्रुपों सहित 11 ग्रुप बनाए गए और धर्म के आधार पर सदस्यों को जोड़ा गया। ग्रुप सदस्यों से उन्हें जानकारी मिलने व आपत्ति करने पर उन्होंने ये ग्रुप डिलीट कर दिए। सिटी पुलिस कमिश्नर स्पर्जन कुमार ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। व्हाट्सएप से जानकारी मांगी गई है कि ये ग्रुप फोन हैक करने के बाद बनाए गए थे या नहीं? उधर, उद्योग मंत्री पी.राजीव ने कहा कि सरकार इस मामले की जांच करेगी। धर्म के आधार पर समूह बनना गंभीर मामला है। सामान्य प्रशासन विभाग इस मामले में आईएएस अधिकारी गोपालकृष्णन से स्पष्टीकरण मांगेगा।

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