भारत में 21 तोपों की सलामी भारत के पहले राष्ट्रपति के साथ शुरू हो गया था। भारत में 21 तोपों की सलामी अंतरराष्ट्रीय मानदंड बन गया। साल 1971 के बाद, 21 तोपों की सलामी हमारे राष्ट्रपति और अतिथि राष्ट्राध्यक्षों को दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान माना जाता है। अब जब भी कोई नया राष्ट्रपति शपथ लेते है तो उनके सम्मान में 21 तोपों की सलामी दी जाती है। गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस जैसे अहम मौकों पर 21 तोपों की सलामी दी जाती है। आठ तोपों होती हैं, जिनमें सात तोपों से हर तोप 3 गोले फायर करते हैं। गोले खास किस्म के होते हैं। इसमें सिर्फ धुआं और आवाज होता है।
गणतंत्र दिवस परेड लगभग 10.30 पर शुरू हुई। गणतंत्र दिवस परेड, देश की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक विविधता का एक अनूठा मिश्रण रही। जिसने देश की बढ़ती स्वदेशी क्षमताओं, नारी शक्ति और एक ‘न्यू इंडिया’ के उद्भव को प्रदर्शन किया।
गणतंत्र दिवस परेड इस बार मिस्र की सैन्य टुकड़ी कर्तव्य पथ से कदमताल किया। मिस्र के सशस्त्र बलों का संयुक्त बैंड भी मार्च में मौजूद था। मिस्र के मार्चिंग दल में कुल 144 सैनिक शामिल थे। ये सभी मिस्र के सशस्त्र बलों की मुख्य शाखाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। मिस्र की सैनिक टुकड़ी का नेतृत्व कर्नल महमूद मोहम्मद अब्देल फत्ताह एल खारासावी ने किया।
परेड समारोह की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जाने के साथ हुई। इसके बाद परेड की शुरूआत राष्ट्रपति की सलामी लेने के साथ हुई। परेड की कमान परेड कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, अति विशिष्ट सेवा मेडल, दूसरी पीढ़ी के सेना अधिकारी संभाल रहे थे। मुख्यालय दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल भवनीश कुमार परेड सेकेंड-इन-कमांड थे।
सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों के गौरवशाली विजेता उनके पीछे-पीछे आए। इनमें परमवीर चक्र और अशोक चक्र के विजेता शामिल हैं। परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर (मानद कप्तान) बाना सिंह, 8 जेएके एलआई (सेवानिवृत्त), सूबेदार मेजर (मानद कप्तान) योगेंद्र सिंह यादव, 18 ग्रेनेडियर्स (सेवानिवृत्त) और सूबेदार (मानद लेफ्टिनेंट) संजय कुमार, 13 जेएके राइफल्स और अशोक चक्र विजेता मेजर जनरल सीए पीठावाला (सेवानिवृत्त), जीप पर डिप्टी परेड कमांडर के पीछे कर्नल डी श्रीराम कुमार और लेफ्टिनेंट कर्नल जस राम सिंह (सेवानिवृत्त) थे।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, परम वीर चक्र, शत्रु के सामने बहादुरी और आत्म-बलिदान के सबसे विशिष्ट कार्य के लिए प्रदान किया जाता है। जबकि अशोक चक्र, वीरता और इसके अलावा, दुश्मन के सामने आत्म-बलिदान के समान कार्यों को सम्मान देने के लिए प्रदान किया जाता है।