देश की समर्पित और निस्वार्थ सेवा
आडवाणी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए कहा कि 14 साल की उम्र में जबसे मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में स्वयंसेवक के रूप में शामिल हुआ, तब से मैंने केवल एक ही चीज इनाम में मांगा है, जीवन में मुझे जो भी कार्य सौंपा गया है, उसमें अपने प्यारे देश की समर्पित और निस्वार्थ सेवा करना। जिस चीज ने मेरे जीवन को प्रेरित किया है, वह आदर्श वाक्य है ‘इदं न मम’ – यह जीवन मेरा नहीं है। मेरा जीवन मेरे राष्ट्र के लिए है।
दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी को किया याद
आडवाणी ने दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए आगे कहा कि आज मैं उन दो व्यक्तियों को कृतज्ञतापूर्वक याद करता हूं जिनके साथ मुझे करीब से काम करने का सम्मान मिला, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी। मैं अपनी पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों और अन्य लोगों के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, जिनके साथ मुझे सार्वजनिक जीवन में अपनी पूरी यात्रा के दौरान काम करने का सौभाग्य मिला। मैं अपने परिवार के सभी सदस्यों, विशेषकर अपनी प्रिय दिवंगत पत्नी कमला के प्रति भी अपनी गहरी भावनाएं व्यक्त करता हूं। वे मेरे जीवन में शक्ति और स्थिरता का सबसे बड़ा स्रोत रहे हैं।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का जताया आभार
आडवाणी ने भारत रत्न घोषित किए जाने पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को हार्दिक धन्यवाद देते हुए अपने बयान में यह भी कहा कि मुझे यह सम्मान प्रदान करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को मेरा हार्दिक धन्यवाद। हमारा महान देश महानता और गौरव के शिखर पर प्रगति करे।