जेनेवा में 24 फरवरी को हुई संयुक्त राष्ट्र की बैठक में स्वयंभू धर्मगुरु नित्यानंद की शिष्या मां विजयप्रिया नित्यानंद ने अपने गुरु की जमकर पैरवी की। साथ ही भारत के खिलाफ भी बोली। हिंदू परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए भारत में उनके सर्वोच्च गुरु का उत्पीड़न किया जा रहा है। नित्यानंद पर लगे सभी आरोप बेबुनियाद हैं। साथ ही विजयप्रिया नित्यानंद ने संयुक्त राष्ट्र से यह तक पूछा कि कैलासा में नित्यानंद और बीस लाख हिंदू प्रवासी आबादी के उत्पीड़न को रोकने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या उपाय किए जा सकते हैं।
इस पर यूएन ने क्या प्रतिक्रिया दी जानें? संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि, उसकी जिन दो बैठकों में विजयप्रिया ने हिस्सा लिया वे आम बैठकें होती हैं। कोई भी अपने विचार रख सकता है। जिन विषयों पर बैठक में चर्चा हो रही थी उसके हिसाब से प्रतिनिधि विजयप्रिया का भाषण अप्रासंगिक था।विजयप्रिया के बयान को नजरअंदाज किया जाएगा।
मां विजयप्रिया नित्यानंद कौन है? इस बारे में जानें। कैलासा की महिला प्रतिनिधि का नाम मां विजयप्रिया नित्यानंद है। यह संयुक्त राष्ट्र में कैलासा देश की स्थायी राजदूत है। मां विजयप्रिया नित्यानंद ने बताया कि, वो अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी शहर में रहती हैं। और उन्हें नित्यानंद के देश कैलासा में डिप्लोमैट का दर्जा मिला हुआ है।
आखिर कैलासा कहां है…? काल्पनिक देश कैलाश की वेबसाइट के अनुसार, कैलासा कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों के हिंदू आदि शैव अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के स्थापित और संचालित एक आंदोलन है। विजयप्रिया ने यूएन में कैलासा का परिचय कराते हुए कहा कि, कैलासा विकास के मामलों में एक सफल देश है क्योंकि वहां सबको भोजन, रहने की जगह और मेडिकल केयर मुफ्त मुहैया करवाई जाती है।
यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा के ट्विटर हैंडल ने गुरुवार को ई-नागरिकता के लिए ई-वीजा के लिए आवेदन मांगे हैं। यूएसके एक ध्वज, एक संविधान, एक आर्थिक प्रणाली, एक पासपोर्ट और एक प्रतीक भी होने का दावा करता है। कैलासा खुद को अंतरराष्ट्रीय हिंदू डायस्पोरा के लिए घर और शरण कहता है।