ताहा और शाजिब को एनआईए ने कोलकाता के पास से गिरफ्तार किया था। एनआईए की जांच में पता चला कि ताहा विस्फोट के मास्टरमाइंड के सीधे संपर्क में था, जिसका कोडनेम कर्नल था। ताहा और शाजिब ने धोखाधड़ी से भारतीय सिम कार्ड और भारतीय बैंक खाते खुलवाए थे और डार्क वेब से डाउनलोड किए गए विभिन्न भारतीय और बांग्लादेशी पहचान दस्तावेजों का भी इस्तेमाल किया था। जांच एजेंसी के मुताबिक कर्नाटक के शिवमोगा जिले के रहने वाले ताहा और शाजिब आईएसआईएस के कट्टरपंथी हैं और उन्होंने पहले सीरिया में आईएसआईएस के इलाकों में जाने की योजना भी बनाई थी। आरोपी अन्य युवाओं को आईएसआईएस की विचारधारा के प्रति कट्टरपंथी बनाने में सक्रिय रूप से शामिल थे। मुनीर और शरीफ कट्टरपंथी विचारों के कारण ही उनसे जुड़े थे।
क्रिप्टो से मिला पैसा
एनआईए के अनुसार आरोपी ताहा और शाजिब को उनके हैंडलर द्वारा क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से पैसा मिला था जिसका इस्तेमाल बेंगलुरु में विभिन्न हिंसक घटनाओं को अंजाम देने के लिए किया जाना था। एनआईए के अनुसार शाजिब ने कैफे में बम रखा था। एक मार्च को हुए विस्फोट में नौ लोग घायल हुए थे।