रक्षा बंधन का पर्व ( Raksha Bandhan 2021) भाई-बहन के अटूट प्यार को बताता-दर्शाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई बदले में बहन की सदैव रक्षा करने का वचन देता है। यह त्योहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
वैसे, इस त्योहार से जुड़ी कई और बाते हैं, जो बहुत कम लोग को पता होंगी। आइए जानते हैं क्या है रक्षा बंधन पर्व का इतिहास और कितना पुराना है यह त्योहार। इस पर्व को मनाने की शुरुआत कब हुई।
अगर रक्षा बंधन त्योहार के इतिहास (Significance of Raksha Bandhan) पर नजर डालें तो इसकी शुरुआत को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। हां, इसका इतिहास (Raksha Bandhan History) सदियों पुराना जरूर है, क्योंकि भविष्य पुराण में भी रक्षा बंधन अर्थात राखी का उल्लेख है।
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भविष्य पुराण के मुताबिक, जब राक्षसों और देवों के बीच युद्ध शुरू हुआ, तब देवों पर दानव हावी हो रहे थे। इंद्र घबरा गए और भगवान बृहस्पति के पास जाकर उन्हें पूरी जानकारी दी। यह बात इंद्र की पत्नी इंद्राणी भी सुन रही थीं। इसके बाद उन्होंने मंत्रों की शक्ति से रेशम के धागे को पवित्र किया और इंद्र के हाथ पर बांध दिया। यह दिन सावन महीने की पूर्णिमा का दिन था। इसके अलावा रक्षा बंधन पर्व का उल्लेख रानी कर्णावती के जीवनकाल के दौरान भी मिलता है। मध्यकाल युग में मुस्लिमों और राजपूतों के बीच संघर्ष चल रहा था। तब चित्तौड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से खुद को और अपनी प्रजा को मुसीबत में घिरता देखकर हुमायूं को राखी भेजी थी। इसके बाद हुमायूं ने रानी कर्णावती की रक्षा की और अपनी बहन का दर्जा दिया।
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