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कोटे में कोटा पर सियासी घमासान: सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर लगाई गुहार, सांसदों ने किया क्रीमीलेयर तय करने का विरोध

Reservation for SC and ST: एससी-एसटी वर्ग के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों ने प्रधानमंत्री से कहा कि हमारे समाज को आरक्षण आर्थिक नहीं, बल्कि भेदभाव और सामाजिक आधार पर मिला है। ऐसे में क्रीमीलेयर का मामला नहीं बनता।

नई दिल्लीAug 10, 2024 / 07:27 am

Shaitan Prajapat

Reservation for SC and ST: सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण कोटे के उप-वर्गीकरण को लेकर जारी आदेश से सियासी घमासान मचा हुआ है। भाजपा के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के सांसदों ने शुक्रवार को संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंटकर आदेश लागू न करने की मांग की। मोदी ने उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया। उन्होंने दलित और आदिवासी सांसदों से भेंट की तस्वीर एक्स पर जारी करते हुए कहा कि आज एससी-एसटी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल से भेंट की। एससी/एसटी समुदायों के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता और संकल्प दोहराया।
बताया जाता है कि एससी-एसटी वर्ग के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों ने प्रधानमंत्री से कहा कि हमारे समाज को आरक्षण आर्थिक नहीं, बल्कि भेदभाव और सामाजिक आधार पर मिला है। ऐसे में क्रीमीलेयर का मामला नहीं बनता। सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय को हमारे समाज पर लागू नहीं करना चाहिए। मुलाकात के बाद भाजपा सांसद फगन सिंह कुलस्ते ने दावा किया कि प्रधानमंत्री सांसदों की मांगों से सहमत दिखे। मोदी ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि चिंता करने की कोई बात नहीं है, एससी-एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण की व्यवस्था लागू नहीं होगी।

एनडीए में भी मतभेद

एससी-एसटी के कोटे में कोटा का सुप्रीम कोर्ट का आदेश आते ही एनडीए में मतभेद देखने को मिले थे। प्रमुख सहयोगी जदयू ने जहां इसका स्वागत किया था, वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के साथ आरपीआइ अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने विरोध किया था।

कोर्ट ने कहा था…

सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को कहा था कि राज्यों के पास अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण मिल सके, जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं। कोर्ट ने यह भी कहा था कि वर्गीकरण का आधार पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के ‘मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों’ के आधार पर करना होगा, न कि राजनीतिक लाभ के आधार पर।

आदेश को बेअसर कर देना चाहिए: मायावती

मोदी से भाजपा के दलित और आदिवासी सांसदों को मिले आश्वासन का बसपा प्रमुख मायावती ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को संविधान संशोधन के जरिए जब तक निष्प्रभावी नहीं किया जाता, तब तक राज्य सरकारें अपनी राजनीति के तहत इस निर्णय का इस्तेमाल कर सकती है। संविधान संशोधन बिल लाकर इस आदेश को बेअसर कर देना चाहिए।
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