इनके अलावा राजनाथ सिंह ही रक्षा मंत्री रहेंगे और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर को ही बनाया गया है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पास कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग; सभी महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दे; और अन्य सभी विभाग जो किसी भी मंत्री को आवंटित नहीं किए गए हैं, वो अपने पास ही रखी है।
CCS के अंडर आते है ये मंत्रालय बता दें कि कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के अंदर गृह, रक्षा, वित्त और विदेश मंत्रालय आते है। किसी भी पार्टी के मजबूत सरकार के लिए इन चारों मंत्रालयों पर उसका कंट्रोल होना बहुत जरूरी होता है। यही मंत्रालय मिलकर सीसीएस का गठन करते हैं और सभी बड़े मामलों पर निर्णय लेते हैं।
क्या होता है कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति) सुरक्षा के मामलों पर निर्णय लेने वाली देश की सर्वोच्च संस्था होती है। प्रधानमंत्री इस कमेटी के अध्यक्ष होते हैं और गृह मंत्री, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री इसके सदस्य। देश की सुरक्षा संबंधी सभी मुद्दों से जुड़े मामलों में अंतिम निर्णय कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी का ही होता है। इसके अलावा कानून एवं व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर भी सीसीएस ही अंतिम निर्णय लेता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कौन होगा इसका निर्णय CCS लेता है कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी विदेशी मामलों से संबंधित ऐसे नीतिगत निर्णयों से निपटती है, जिनका आंतरिक या बाहरी सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्य देशों के साथ समझौते से संबंधित मामले भी यह समिति संभालती है। राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव डालने वाले आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों और परमाणु ऊर्जा से संबंधित सभी मामलों से निपटना सीसीएस का काम होता है। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े निकायों या संस्थानों में अधिकारियों की नियुक्ति पर फैसला भी कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी का ही होता है। जैसे देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कौन होगा इसका निर्णय CCS लेता है।
CCS के अलावा भी अहम मंत्रालय में भी नहीं हुई सहयोगियों की एंट्री बीजेपी ने CCS के तहत आने वाले मंत्रालय के अलावा सड़क एवं परिवहन मंत्रालय और रेल मंत्रालय भी अपने किसी अलायंस पार्टनर को नहीं दिया है। इसके पीछे कारण है कि पिछले दो कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने इन मंत्रालयों में बेहतरीन काम किया है और कई ऐसे प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो अगर सहयोगियों के पास गए तो उनमें काम की रफ्तार धीमे होने की संभावना है जो कि सरकार का रिपोर्ट कार्ड खराब कर सकता है। वहीं, इन दोनों मंत्रालयों के प्रोजेक्ट में सरकार ने बड़ा निवेश किया है। ये ऐसे मंत्रालय हैं, जिनका काम जमीन पर दिखता है और जब विकास की बात आती है तो सरकार इन दोनों मंत्रालयों के कामकाज को शोकेस करती है।