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गुजरात दंगे, बाबरी मस्जिद और POK को लेकर बदला NCERT का सिलेबस, जोड़ी गई ये जानकारियां

New NCERT Books: एनसीईआरटी की नई किताबों में गुजरात दंगे, बाबरी मस्जिद और POK समेत कई विषयों के कंटेंट में बदलाव किया गया है। एनसीईआरटी ने हटाए गए विषयों पर कोई टिप्पणी नहीं की, हालांकि, अधिकारियों के अनुसार, बदलाव नियमित अपडेशन के हिस्से के रूप में किए गए हैं।

Apr 05, 2024 / 08:33 pm

Anish Shekhar

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New NCERT Books: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने अपनी पाठ्यपुस्तकों में विभिन्न संशोधनों को सार्वजनिक किया है, जिसमें उसने अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस, गुजरात दंगों में “मुसलमानों” की हत्या और हिंदुत्व के संदर्भ हटा दिए हैं। इसमें मणिपुर के भारत में विलय के संदर्भ को भी तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। एनसीईआरटी ने छूटे हुए विषयों पर कोई टिप्पणी नहीं की, हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि बदलाव रूटीन अपडेशन का हिस्सा हैं। उन्होंने नए पाठ्यक्रम (एनसीएफ) के अनुसार नई किताबों के आने से इनकार कर दिया है। यह बदलाव कक्षा 11 और 12 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों के अलावा अन्य में भी किए गए हैं।

एनसीईआरटी की सिलेबस ड्राफ्टिंग कमेटी की ओर से तैयार किए गए पाठ्यक्रम में बदलावों वाले एक दस्तावेज़ के अनुसार, राम जन्मभूमि आंदोलन के संदर्भों को “राजनीति में आए नए विकास के अनुसार” बदल दिया गया है।

पहले पाठ्यपुस्तक में क्या था?
कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तक में धर्मनिरपेक्षता पर अध्याय 8 के अनुसार, “2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों, (जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे) का नरसंहार किया गया था”।

इस कंटेंट को “2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे” में बदल दिया गया है। बदलाव के पीछे एनसीईआरटी का तर्क है, ”किसी भी दंगे में सभी समुदायों के लोगों को नुकसान होता है। यह सिर्फ एक समुदाय नहीं हो सकता”।

POK को लेकर बदला कंटेंट

एनसीईआरटी ने पहले पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर कहा था, ‘भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को आज़ाद पाकिस्तान बताता है”।

वाक्य में बदलाव के बाद दिया गया है, “हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है और इसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) कहा जाता है।”

बदलाव के पीछे एनसीईआरटी का तर्क यह है कि “जो बदलाव लाया गया है वह जम्मू-कश्मीर के संबंध में भारत सरकार की नवीनतम स्थिति से पूरी तरह मेल खाता है”।

मणिपुर के विलय को लेकर

मणिपुर पर, पहले की पाठ्यपुस्तक में कहा गया था, “भारत सरकार मणिपुर की लोकप्रिय निर्वाचित विधान सभा से परामर्श किए बिना, सितंबर 1949 में विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए महाराजा पर दबाव डालने में सफल रही। इससे मणिपुर में बहुत गुस्सा और आक्रोश पैदा हुआ, जिसके परिणाम का अहसास अभी भी किया जा रहा है।”

बदले हुए संस्करण में कहा गया है, “भारत सरकार सितंबर 1949 में महाराजा को विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाने में सफल रही।”

बाबरी विध्वंस विषय हटा दिया गया
अध्याय 8 से, देश की मौजूदा सियायत को देखते हुए, “अयोध्या विध्वंस” का संदर्भ हटा दिया गया है। “राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है?” इसे बदलकर “राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है?” कर दिया गया है। उसी अध्याय में बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति के संदर्भ हटा दिए गए।

गुजरात दंगों का संदर्भ हटा दिया गया
अध्याय 5 में “लोकतांत्रिक अधिकार” शीर्षक से, एक समाचार कोलाज के कैप्शन में गुजरात दंगों का संदर्भ हटा दिया गया था।

पिछला संस्करण था – “क्या आपने इस पृष्ठ पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का संदर्भ देखा है? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, उदाहरण के लिए, गुजरात दंगे, पूरे भारत से सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं।

इसे बदलकर “विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई मामले पूरे भारत से सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं।”

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