चंदे की रकम से बन रहा भव्य राम मंदिर
आपको जानकर हैरानी होगी कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का मंदिर चंदे की रकम से बन रहा है। राम मंदिर निर्माण के लिए आम लोगों के द्वारा दिया गया चंदा निर्माण कार्य में लगाया जा रहा है। वहीं, उसके अलावा अयोध्या में हो रहे निर्माण कार्य के लिए केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार पैसा दे रही है। बता दें कि 22 जनवरी को पीएम मोदी की मौजूदगी में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी।
अब तक कितना मिला चंदा?
राम मंदिर के ट्रस्टी और निर्माण कार्य बोर्ड के सदस्य चंपत राय ने बताया कि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिए अब तक 5500 करोड़ से अधिक का दान मिल चुका है और चंदा अब भी मिल रहा है। वहीं राम मंदिर के लिए दान करने वालों में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से लेकर आम जनमानस शामिल है।
सबसे अधिक किसने दिया चंदा?
बता दें कि राम मंदिर के निर्माण के लिए सबने अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार दिल खोलकर दान दिया है। लेकिन इन दान देने वालों में एक नाम ऐसा भी है जो खुद को फकीर बताता है लेकिन राम मंदिर के लिए सबसे अधिक दान दिया है।
आध्यात्मिक गुरु और कथावाचक मोरारी बापू ने राम मंदिर के लिए देशभर में सबसे अधिक चंदा दिया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, मोरारी बापू ने 11.3 करोड़ रुपये का दान दिया है। वहीं, अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन में बैठे उनके रामभक्त अनुयायियों ने भी अलग से 8 करोड़ रुपये का दान दिया है।
कौन हैं मोरारी बापू?
1946 में गुजरात के भावनगर में जन्मे मोरारी बापू आज देश और दुनिया में रामकथा करने के लिए जाने जाते हैं। मोरारी बापू राम चरित मानस के प्रसिद्ध व्याख्याता हैं और दुनिया भर में पचास सालों से अधिक समय से राम कथाओं का पाठ कर रहे हैं। उनकी वेबसाइट के अनुसार, मोरारी बापू ने बारह साल की उम्र में संपूर्ण राम चरित मानस को याद कर लिया था और 14 साल की उम्र में राम कथा का पाठ करना शुरू कर दिया था। उनकी वेबसाइट के अनुसार, वह वैष्णव बावा साधु निम्बार्क वंश से हैं।
मोरारी बापू की ख्याति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी उनकी कथा सुन चुके हैं। खुद को रामभक्त कहने वाले मोरारी बापू अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के समर्थक रहे हैं। हालांकि, इस मामले में वह उग्र होने की बजाय, हमेशा सरकारी और अदालती प्रयासों पर यकीन रखते थे।