इस कानून में संधोन के बाद देश में लड़कियों की शादी 21 वर्ष से पहले नहीं की जा सकेगी। अगर 21 वर्ष से कम उम्र में लड़कियों का विवाह किया जाता है तो इसे गैर कानूनी माना जाएगा। नीति आयोग में जया जेटली की अध्यक्षता में बने टास्क फोर्स ने इस प्रस्ताव की सिफारिश की थी। दरअसल नीति आयोग की ओर से इस टास्ट फोर्स का गठन बीते वर्ष जून के महीने में किया गया था। इसके बाद टास्क फोर्स ने दिसंबर 2020 को अपनी रिपोर्ट पेश की थी।
टास्क फोर्स में हैं ये सदस्य
बता दें कि नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल भी इस टास्क फोर्स के सदस्य थे। इनके अलावा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, महिला एवं बाल विकास, उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा तथा साक्षरता मिशन और न्याय और कानून मंत्रालय के विधेयक विभाग के सचिव टास्क फोर्स के सदस्य थे।
टास्क फोर्स की अध्यक्ष जया जेटली के मुताबिक इस बदलाव की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। इस कानून में संधोन का मकसद जनसंख्या नियंत्रण करना नहीं है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण द्वारा जारी हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि कुल प्रजनन दर घट रही है और जनसंख्या नियंत्रण में है। देश में लड़कियों के शादी की उम्र 21 वर्ष करने के पीछे मकसद महिलाओं का सशक्तिकरण करना है।
इस तरह तैयार की रिपोर्ट
जया जेटली के मुताबिक काफी अध्ययन और फीडबैक के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कहा कि विवाह की उम्र को लेकर हमें 16 विश्वविद्यालयों से प्रतिक्रिया मिली।
इसके साथ ही युवाओं की राय जानने के लिए इसमें 15 से ज्यादा गैर सरकारी संगठनों को शामिल किया गया है। यही नहीं ग्रामीण और हाशिए पर पहुंचे समुदायों में जैसे कि राजस्थान के विशेष जिलों में जहां बाल विवाह काफी प्रचलित है वहां से भी फीडबैक लिए गए। सभी धर्मों और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से भी प्रतिक्रियाएं मंगाई गईं।