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Ground Report: हैदराबाद की गलियों में गूंज रहा चुनावी शोर, खामोश मतदाता हुए जागरूक, जानिए उड़ेगी पतंग या खिलेगा कमल!

Lok Sabha Elections 2024: कर्नाटक के बाद हैदराबाद दूसरा दक्षिणी राज्य है जहां लोकसभा की 17 में से अधिकांश सीटों पर BJP व कांग्रेस (Congress) के बीच सीधी टक्कर है। बहुचर्चित हैदराबाद एकमात्र लोकसभा सीट है जो अब भी मजलिस (AIMIM) का अभेद्य किला बना हुआ है। यहां भाजपा की तेज-तर्रार प्रत्याशी माधवी लता (Maadhavi Latha) मुखर असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) को चुनौती दे रही हैं। सवाल है कि क्या भाजपा ओवैसी के किले में सेंध लगा पाएगी? पढ़िए राजीव मिश्रा की इस ग्राउंड रिपोर्ट में-

नई दिल्लीMay 09, 2024 / 08:27 am

Akash Sharma

Madhavi Latha Vs Asaduddin Owaisi
Madhavi Latha Vs Asaduddin Owaisi: लजीज व्यंजनों के लिए मशहूर हैदराबाद में इस बार चुनावी मुकाबला चटखदार है। तीखे तेवर और आक्रामक भाषा शैली की भाजपा प्रत्याशी के. माधवी लता ने पिछले चार दशकों में पहली बार हैदराबाद लोकसभा सीट पर AIMIM के सामने एक चुनौती पेश की है। पिछले दो दशकों से यह सीट AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के लिए केक वाक साबित हुआ है। हर चुनाव के साथ उनके जीत का मार्जिन बढ़ता गया। लेकिन इस बार चुनावी बिरयानी थोड़ी तीखी है। ओवैसी समर्थक दावा करते हैं कि भाजपा जितना भी जोर लगा ले कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
AIMIM दफ्तर दारूस्सलाम में सामने पड़ी कुर्सियों और मेजों की ओर इशारा कर तौसीफ कहते हैं ‘ओवैसी यहां अपने सभी सात विधायकों के साथ रोज बैठते हैं। सामने सैकड़ों की भीड़ होती है। किसी एक मजहब के लोग नहीं होते। वे सभी की समस्याएं सुनते हैं और उसका समाधान करते हैं। वे सहज उपलब्ध जनप्रतिनिधि हैं और समाज के हर तबके का समर्थन उन्हें प्राप्त है।’ ओवैसी रोड शो या बड़ी रैलियां नहीं बल्कि सुबह 8 से 11.30 बजे और शाम में 4 से 7 बजे तक घर-घर जाकर लोगों से मिल रहे हैं। वहीं भाजपा की ओर से पीएम मोदी और केंद्र्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, तेजस्वी सूर्या, अन्नामलाई जैसे नेता रोड शो और प्रचार अभियान में जुटे हैं।

जागरूक हुआ खामोश मतदाता-

अमीरपेट इलाके के ऑटो चालक मोहम्मद अनवर ने कहा कि यहां कोई मुद्दा नहीं है। हमेशा असद भाई को वोट देते आए हैं और इस बार भी वहीं जीतेंगे। लेकिन गोशमहल में नारियल पानी की दुकान चलाने वाले एस.साई कुमार हैदराबादी लहजे में कहते हैं ‘असदुद्दीन ओवैसी बहुत बातां करतें जी। लेकिन जो कहतें उसे करते नहीं।’ आवाजें दोनों तरफ से सुनाई दे रही हैं। माधवी के मैदान में आने का असर यह हुआ है कि, पिछले 10 सालों में पहली बार मतदाता का एक वर्ग जो अक्सर खामोश, निराश और मतदान से दूर रहता था, इस बार मुखर है। काल्पनिक तीर चलाकर पतंग की डोर काटने का उनका इशारा भी खूब चर्चा में है। श्रीनिवास मानते हैं कि साजिश के तहत इसे गलत तरीके से पेश किया गया।

बढ़ेगा मतदान तो बदलेगी सूरत!

हैदराबाद की गलियों और चौराहों पर घूमते-घूमते यह मालूम हुआ कि बड़ी संख्या में प्रवासी राजस्थानी, ब्राह्मण समाज अथवा गैर तेलुगू भाषी मनिकोंडा, कुकटपल्ली, बंजारा हिल्स आदि इलाकों में जाकर बसे हैं। उनका नाम हैदराबाद लोकसभा की मतदाता सूची में हैं। ये वोट डालने नहीं आतेे। पिछली बार यहां महज 44 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार ये लोग मतदान के प्रति उत्सुक हैं। निजामपेट इलाके में दुर्गा प्रसाद तिवारी कहते हैं कि, इस बार बसें और कारें बुक की है। परिवार के साथ जाएंगे और मतदान करेंगे। यहां कई ऐसे प्रवासी परिवार हैं जो कुछ सालों से रह रहे हैं। भाजपा के प्रवक्ता अमरनाथ सारंगुला कहते हैं कि, अगर मतदान 50 प्रतिशत के ऊपर पहुंचता है तो ओवैसी को कड़ी चुनौती मिलेगी।
Maadhavi Latha Vs Asaduddin Owaisi bjp aimim

अमन को ना पहुंचे नुकसान

ऐतिहासिक चारमीनार पर लोगों का मन टटोला तो सांप्रदायिक भेद-भाव और सीएए के खिलाफ आवाजें सुनाई दीं। हैदराबादी जुबान में अफवान बोले ‘बचपन से साथ मिलकर पढ़े-लिखे, उठे-बैठें और अब भेद-भाव की बातां करतें। यह कैसा जी!’ तपती दोपहर में भी चारमीनार पर अच्छी खासी भीड़ है। यहां बड़े पैमाने पर कारोबार होता है। लोग कहते हैं कि, गर्मी के कारण शाम में ज्यादा आते हैं। कारोबार पर कोई असर नहीं है।

कड़ी टक्कर, चुनाव रोचक

हैदराबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस ने मोहम्मद वलीउल्लाह समीर को उतारा है वहीं, बीआरएस ने गद्दाम श्रीनिवास को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस की गारंटी योजनाओं की चर्चा है, जो अभी पूरी तरह लागू नहीं हो पाई हैं। बिजली बिल जरूर माफ हुए हैं। शहर में बैनर-पोस्टर लगाने की मनाही है लेकिन, मेट्रो के खंभे पर कांग्रेस और भाजपा के कुछ पोस्टर नजर आते हैं। देश के इस आधुनिक शहर में चुनावी चर्चा पर अमूमन पुरानी और रटी-रटाई बातें सुनने को मिलती हैं। राकेश रेड्डी कहते हैं कि, ओवैसी मजबूत उम्मीदवार हैं। एक खास वर्ग पर उनकी पकड़ आज भी कम नहीं हुई है। मुख्य मुकाबला ओवैसी और भाजपा की माधवी लता के बीच ही है।

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