नहीं बना अबतक कोई कानून
मध्य प्रदेश में भी भीड़ वाले आयोजन स्थलों पर हादसे रोकने के लिए पृथक से कोई कानून या वैधानिक प्राधिकरण नहीं है। अभी संबंधितजिला कलक्टर और एसपी को सुरक्षा व्यवस्था की योजना अमल में लानी होती है। छत्तीसगढ़ में भी मेले जैसे आयोजनों को व्यवस्थित करने के लिए कोई अलग से कानून या प्राधिकरण नहीं बना है। यहां लाखों की भीड़ एकत्र होती हैकब कब होती है मध्य प्रदेश के आयोजनों में भीड़
-उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में शिवरात्रि यात्रा के समय -इंदौर के खजराना गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी पर-बागेश्वर धाम सहित कई जगह धर्म गुरु और कथा वाचकों के आयोजनों मेंCG: इन धार्मिक आयोजनों में श्रद्धालुओं की जुटती है भीड़
-रायपुर के खारून नदी पर हटकेश्वर महादेव मंदिर में शिवरात्रि व पुन्नी मेले के समय -गरियाबंद जिले के राजिम में माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक मेले मेंMP: कब कब हुए हृदय विदारक हादसे
-अक्टूबर 2013: दतिया के रतनगढ़ मंदिर में 117 लोगों की मौत -15 जुलाई 1996: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में 38 लोगों की मौत -3 अक्टूबर 2006: दतिया के रतनगढ़ मंदिर जा रहे 50 श्रद्धालु नदी में बहेRajasthan : मेले में मची भगदड़ और बिछ गई थीं लाशें
-30 सितम्बर 2008: मेहरानगढ़ मंदिर में भगदड़ में 216 लोगों की मौत -8 अगस्त 2022: खाटूश्यामजी मेले में भगदड़ में 3 लोगों की मौत- 2020: खाटूश्यामजी मेले में भगदड़ में 1 मौत
- 2019: खाटूश्यामजी मेले में भगदड़ में 1 मौत
- 2022 में 10 दुकानों में आग लग गई।- रोपवे टूटने से मजदूर की मौत हो चुकी है।
हर साल जमा होती है लाखों की भीड़, प्रबंधन राम भरोसे
कैसे हो इंतजाम जिनसे बचाई जा सके श्रद्धालुओं की जान
उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई दुखांतिका में 121 मौतों के बाद भीड़ वाले आयोजन में सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। देश में हर साल कहीं न कहीं ऐसे हृदय विदारक हादसे होते हैं लेकिन, अब तक भीड़ प्रबंधन के लिए न कोई कड़ा कानून है और न ही कोई नियामक संस्था। राजस्थान में जरूर मेला प्राधिकरण बनाया गया, लेकिन इसके लिए कानून लागू नहीं हो पाया। अन्य राज्यों में तो ऐसी कोशिश भी नहीं की गई। अब भीड़ प्रबंधन के लिए कानून बनाने की मांग होने लगी है। पत्रिका ने एक्सपर्ट रमेश बोराणा, पूर्व उपाध्यक्ष, राजस्थान राज्य मेला प्राधिकरणसे जानना चाहा कि इंतजाम कैसे हों जिससे लोगों की जान सुरक्षित रखी जा सके और नीति निर्माताओं की नींद खुल सके।यहां भी पढ़ें –Suicide of students in India: छोटी उम्र में उम्मीदों की भारी गठरी, कैसे रोकें नौनिहालों को गलत कदम उठाने से?
मेले में इस तरह के हों इंतजाम
-आयोजन स्थल पर आने-आने के लिए अलग-अलग रास्ते हों।-कितने लोग आयोजन में आएंगे, इसका पूर्व में आंकलन होना चाहिए।
- पेयजल व्यवस्था अच्छी हो ताकि धक्का-मुक्की नहीं हो।
- यदि बड़ी मात्रा में भोजन बन रहा हो तो उसकी जांच होनी चाहिए।
- लोगों को सपोर्ट करने वाले व्यावहारिक लोगों की ड्यूटी आयोजन स्थल पर लगानी चाहिए।
- अफवाहों को रोकने के लिए संचार सिस्टम होना चाहिए।
- भीड़ वाले आयोजनों के प्रबंधन और विनियमनय के लिए राष्ट्रीय कानून होना चाहिए।