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Manipur: मणिपुर में शांति की हर कोशिश नाकाम, CM की वजह से कुकी नेताओं ने शांति समिति में शामिल होने से किया इनकार

Manipur Violence: जातीय हिंसा से जूझ रहे उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर में शांति के लिए केंद्र सरकार की ओर की बनाई गई शांति समिति में शामिल होने से कुकी जनजाति के नेताओं ने इनकार कर दिया है। कुकी प्रतिनिधियों का मानना है कि उन्हें शांति समिति में शामिल करने से पहले उनसे इस बारे में नहीं पूछा गया था।

Jun 12, 2023 / 10:18 am

Paritosh Shahi

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Manipur Violence: हिंसा से झुलस रहे मणिपुर में केंद्र द्वारा शांति स्थापित करने के सारे प्रयास नाकाम होते दिख रहे हैं। तीन दिन पहले केंद्र सरकार ने राज्य में शांति-व्यवस्था लाने के लिए राज्यपाल की अध्यक्षता में 51 सदस्यीय शांति समिति का गठन किया था। इस समिति में सीएम एन बीरेन सिंह और विभिन्न जनजातियों के प्रतिनिधियों समेत प्रबुद्ध वर्ग के लोगों को शामिल किया गया है। जिसके बाद उम्मीद जताई जाने लगी थी की मणिपुर में शांति के लिए उठाया गया यह कदम कारगर साबित हो सकता है। लेकिन अब खबर आ रही है कुकी जनजाति के अधिकतर प्रतिनिधियों ने इस शांति समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया है। जिससे केंद्र के पप्रयासों को झटका लगा है।


सीएम बिरेन से हैं नाराज

समिति में शामिल होने से इनकार करने वाले कुकी जनजाति के प्रतिनिधियों का कहना है कि इस पैनल में सीएम एन बीरेन सिंह और उनके समर्थकों को भी शामिल किया गया है, इसलिए वह इस शांति समिति का बायकॉट करेंगे, बिरेन सिंह ने राज्य में शांति व्यवस्था सुधरे इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

कुकी प्रतिनिधियों का ये भी कहना है कि उन्हें शांति समिति में शामिल करने से पहले उनसे इस बारे में नहीं पूछा गया था।कुछ नेताओं ने केंद्र सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा की केंद्र को को बात-चित के लिए सहायक और सरल परिस्थितियां बनानी चाहिए।

कुकी जनजाति के प्रतिनिधियों का क्या है आरोप

केंद्र सरकार द्वारा गठित शांति समिति में सक्रिय नागरिक समूह कोकोमी को भी शामिल किया गया है। कुकी जनजाति के लोगों का आरोप है कि कोकोमी समूह ने कुकी लोगों के खिलाफ युद्ध का माहौल बना रखा है। ऐसे में जब हिंसा जारी है तो हम मणिपुर सरकार के साथ बातचीत नहीं कर सकते। इस समिति से सरकार को सबसे पहले कोकोमी समूह को हटाये, तब जाकर ही कुकी समुदाय के लोग इस समिति में भाग लेंगे।

मामला जानिए

बता दें कि, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 10,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।

लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है, जिस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक इस हिंसा में 105 लोगों की जान जा चुकी है और 350 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। केंद्र की मोदी और राज्य की बिरेन सरकार अब तक इस मसले पर पूरी तरह विफल दिखी है। अब वक्त आ गया है कोई सख्त निर्णय लेने का, नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब देश के सबसे खुबसूरत राज्यों में से एक राज्य की स्थिति संभाले नहीं संभलेगी।

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