स्पेडेक्स मिशन के तहत डॉकिंग परीक्षण के लिए शुक्रवार आधी रात से शुरू हुई कोशिशें शनिवार सुबह 7:06 बजे तक चलीं। दोनों अंतरिक्ष यान स्पेडेक्स ए और स्पेडेक्स बी (चेजर और टारगेट) के बीच की दूरी 230 मीटर से घटाकर पहले 105 मीटर की गई। तडक़े 3:10 बजे यह प्रक्रिया पूरी हुई। उसके बाद दोनों यानों को 15 मीटर की दूरी पर लाया गया। आंकड़ों के विश्लेषण के बाद दोबारा डॉकिंग प्रक्रिया शुरू होगी।
गड़बड़ी के संकेत
इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अंतिम डॉकिंग कमांड देने के समय प्रॉक्सिमिटी एंड डॉकिंग सेंसर (पीडीएस) में कुछ गड़बड़ी के संकेत मिले. जिसके बाद प्रक्रिया रोक दी गई और दोनों यानों को सुरक्षित दूरी पर ला दिया गया। उपग्रहों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऑन बोर्ड प्रणाली को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि टकराव का खतरा भांपते ही उपग्रह का सेफ्टी मोड ऑन हो जाता है।
कम भार बड़ी चुनौती
इसरो के मुताबिक शून्य गुरुत्वाकर्षण में कम भार वाले उपग्रहों को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण होता है। स्पेडेक्स मिशन के तहत चेजर और टारगेट उपग्रहों का वजन 220-220 किलो है। डॉकिंग के लिए दोनों उपग्रहों के एक सीध में होने के साथ बेहद नियंत्रित वेग के साथ एक-दूसरे से जुडऩा है। डॉकिंग प्रक्रिया 15 जनवरी तक पूरी करनी होगी, अन्यथा अगली विंडो मार्च में उपलब्ध होगी।