पति की मौत और फिर 2 बेटों को खोया
ओडिशा के बेहद पिछड़े और संथाल बिरादरी से जुड़ी 64 वर्षीय द्रौपदी के जीवन का सफर संघर्षों से भरा रहा है। उनका जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखने वाली द्रौपदी की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने पति और अपने दोनों बेटों की मौत हो गई।
शिक्षा को बनाया करियर
आर्थिक अभाव के कारण स्तानक तक शिक्षा हासिल कर उन्होंने पहले शिक्षा को करियर चुना। बेटी के साथ जीवन यापन करने के लिए मुर्मू टीचर बनकर बच्चों को पढ़ती थी। इसके बाद ओडिशा के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक यानी क्लर्क के पद नौकरी करने लगी।
NDA ने द्रौपदी मुर्मू को बनाया राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार, BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया ऐलान
पार्षद से शुरू हुआ राजनीतिक सफर
साल 1997 में उन्होंने रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इसके बाद मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में बीजेपी के टिकट पर दो बार विधायक बनीं।
झारखंड की पहली महिला राज्यपाल
साल 2015 में उन्हें झारखंड का पहला महिला राज्यपाल बनाया गया। उन्होंने सैयद अहमद की जगह ली थी। झारखंड हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल पर की शपथ दिलाई थी। द्रौपदी की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद उनके पैतृक मयूरभंज जिले में खुशी का माहौल है। बड़ी संख्या में लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं।