काली पोस्टर विवाद में नया मोड़ सामने आया है। फिल्म निर्माता निर्देशक लीना मणिमेकलाई ने भले ही अब तक पोस्टर को लेकर माफी नहीं मांगी हो, लेकिन कनाडा के जिस म्यूजियम में यह फिल्म दिखाई गई थी, उस म्यूजियम ने माफी मांग ली है।
दरअसल कनाडा के टोरंटो शहर के आगा खां म्यूजियम में यह डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शित की गई थी। अब इस म्यूजियम ने माना है कि उन्होंने हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाने वाली फिल्म का प्रदर्शन किया है जो गलत है।
आगा खां म्यूजियम ने अपने बयान में कहा है कि, ‘हमें गहरा खेद है कि ‘अंडर द टेंट’ प्रोजेक्ट के तहत म्यूजियम में प्रस्तुत 18 शॉर्ट वीडियो की ओर से सोशल मीडिया पर जारी पोस्ट ने हिंदू और अन्य धार्मिक समुदायों को अनजाने में अपमानित किया है। ऐसे में फिल्म का म्यूजियम में प्रस्तुतिकरण नहीं किया जाएगा।’
म्यूजियम की ओर से बयान में आगे कहा गया कि, संग्रहालय का मिशन कला के माध्यम से अलग-अलग सांस्कृतियों के बीच समझ और संवाद को बढ़ावा देना है । विविध धार्मिक अभिव्यक्तियों और आस्था समुदायों का सम्मान उस मिशन का एक अभिन्न अंग है। म्यूजियम में अब फिल्म का प्रदर्शन नहीं किया जाएगा।
कनाडा के आगा खां म्यूजियम की ओर से माफी तब मांगी गई जब भारतीय उच्चायोग की ओर से इसको लेकर शिकायत दर्ज कराई गई। मंगलवार को ओटावा स्थित भारतीय उच्चायोग ने कहा था कि कनाडा में हिंदू समुदाय के नेताओं से हमें शिकायतें मिली हैं।
फिल्म के एक पोस्टर में हिंदू देवी-देविताओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने की हमें शिकायतें मिली हैं। इसे देखते हुए कनाडा के अधिकारियों एवं समारोह के आयोजकों से ‘इस तरह के सभी उकसावे वाली सामग्रियों को हटाने’ का अनुरोध है।
विवाद और एफआईआर के बाद अब इस मामले में एक और मोड़ सामने आया है। दरअसल विवादित पोस्टर को लेकर अयोध्या हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने फिल्म मेकर लीना मणिमेकलई को चेतावनी दी है।
महंत राजू दास ने लीना मणिमेकलई के बारे में बयान देते हुए कहा कि, जो दुस्साहस फिल्म मेकर ने किया है, उसे माफ नहीं किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि, ‘क्या इक्षा है? तुम्हारा सिर भी तन से जुदा हो जाए।’
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