script…जब महिला जज फट पड़ी और कहा- हमपर काम का बेहद प्रेशर, वर्क और फैमिली लाइफ में बैलेंस बिठाना हो रहा मुश्किल | Justice Pratibha M Singh said that we work 14-15 hours, work-life balance is difficult | Patrika News
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…जब महिला जज फट पड़ी और कहा- हमपर काम का बेहद प्रेशर, वर्क और फैमिली लाइफ में बैलेंस बिठाना हो रहा मुश्किल

जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने भारतीय जजों का दर्द बयां करते हुए कहा कि हम लोग रोजाना 14 से 15 घंटे काम करते हैं। ऐसी स्थिति में पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बैठाना बहुत मुश्किल होता है।

Nov 28, 2023 / 09:13 am

Shaitan Prajapat

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दिल्ली हाईकोर्ट की जज जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने कहा है कि देश के जज रोजाना 14 से 15 घंटे काम करते हैं। इसके कारण उनकी जिंदगी में ‘वर्क-लाइफ बैलेंस’ जैसी कोई चीज नहीं है। उन्होंने कहा कि जज का पेशा ऐसा है कि वह खुद तमाम चीजें तो कुर्बान करते ही हैं, उनसे कहीं कहीं ज्यादा उनका परिवार त्याग करता है। तमाम चीजों से समझौता करना पड़ता है। बेंगलूरु में लॉ एशिया कांफ्रेंस के एक पैनल में जस्टिस प्रतिभा सिंह ने कहा कि अक्सर मीडिया में खबरें छपती हैं कि जजों को अपनी विंटर और समर वेकेशन में कटौती करनी चाहिए, ताकि लंबित मामले कम किए जा सकें।


क्या 10.30-4.30 की नौकरी करते हैं जज?

जस्टिस प्रतिभा सिंह ने कहा कि ऐसी धारणा है कि जज सिर्फ 10:30 से 4:30 बजे तक सिर्फ छह घंटे काम करते हैं। इसके बाद गोल्फ खेलते हैं। वास्तविकता इससे उलट है। पैनल का विषय था कि क्या भारत में बड़ी संख्या में लंबित मुकदमों का बोझ कम करने के लिए अदालतों की छुट्टियां खत्म कर दी जानी चाहिए? जस्टिस प्रतिभा सिंह ने कहा कि हम लोग कोर्ट शुरू होने से दो घंटे पहले अपना काम शुरू करते हैं और 4:30 बजे तक कोर्ट में बैठते हैं। कोर्ट का वक्त खत्म होने के बाद कई प्रशासनिक काम करने होते हैं। अगले दिन का ब्रीफ पढऩा होता है।

रोज 14-15 घंटे काम, वर्क और लाइफ में बैलेंस करना बहुत मुश्किल

उन्होंने कहा कि जजों के लिए रोज 14-15 घंटे काम करने से वर्क और लाइफ में बैलेंस मेंटेन करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा कि जज का पेशा ऐसा है कि वह खुद तो कई चीजें कुर्बान करते ही हैं, उनसे कहीं ज्यादा उनका परिवार त्याग करता है। कई बातों पर समझौता करना पड़ता है।

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दूसरे विशेषज्ञों ने राय से सहमति जताई

पैनल में शामिल दूसरे विशेषज्ञों ने जस्टिस प्रतिभा सिंह की राय से सहमति जताई और कहा कि भारत में जजों का काम बहुत कठिन है। उनके लिए पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बैठाना बहुत मुश्किल होता है। जस्टिस प्रतिभा सिंह 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट की जज नियुक्त की गई थीं। बौद्धिक संपदा कानून के तहत शैक्षणिक साहित्य और विधि के विकास में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है।

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