पार्टी मुख्यालय में होगी बैठक
पार्टी सूत्रों ने बताया कि सभी प्रदेश से दो-दो पदाधिकारियों को बैठक में बुलाया गया है। पार्टी मुख्यालय में दोपहर 2:30 बजे शुरू होने वाली बैठक में पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए राम मंदिर उद्घाटन को धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दे के रूप में प्रचारित करने पर चर्चा कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन में भाजपा की भूमिका को बताने वाली बुकलेट भी तैयार की गई है। इसमें शुरुआत से लेकर अब तक के घटनाक्रम में भाजपा की भूमिका की जानकारी दी गई है। किस तरह राम मंदिर निर्माण की राह में विपक्ष ने रुकावट डालने की कोशिश की, इसकी भी पार्टी जानकारी देगी।
अभियानों पर चर्चा
बैठक में राम मंदिर उद्घाटन को लेकर देश में राममय माहौल बनाने के अभियानों पर चर्चा होगी। बूथ स्तर पर किस तरह लोगों को राम मंदिर उद्घाटन से जोड़ा जाए, इस पर मंथन होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 दिसंबर को अयोध्या यात्रा के दौरान देशवासियों से 22 जनवरी को घरों में दिए जलाने की अपील की थी। भाजपा इस अपील से घर-घर को जोडऩे के लिए अभियान चलाने की रणनीति बनाएगी।
22 जनवरी को होने वाला है मंदिर का उद्घाटन
22 जनवरी 2024 को मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस अनुष्ठान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्य यजमान के रूप में आमंत्रित किया है। राम मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में हो रहा है। पूरा मंदिर कॉम्प्लेक्स 380 फीट लंबा (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा। मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी और इसमें कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे। मंदिर के पदाधिकारियों ने बताया कि ब राम मंदिर का पहला तल लगभग तैयार हो चुका है। प्रधानमंत्री के हाथों प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया जाएगा।
राम मंदिर में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति फाइनल
वहीं, राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने वाली रामलला की मूर्ति भी फाइनल हो चुकी है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के गर्भ गृह में विराजित होने वाली प्रतिमा 5 वर्षीय बाल रामलला का स्वरूप होगी। मूर्ति में रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में वर्णित रामलला की काया की झलक दिखाई देगी। नीलकमल जैसी आंखें, चंद्रमा की तरह चेहरा, घुटनों तक लंबे हाथ, होठों पर निश्चल मुस्कान और दैवीय सहजता के साथ गंभीरता। यानी ऐसी जीवंत मूर्ति, जो देखते ही मन को भा जाए और बार-बार देखने के बाद भी आंखें तृप्त ने हों।