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क्या भारत में कोरोना वायरस पेनडेमिक से एनडेमिक बनने की राह पर है, ऐसा हुआ तो क्या है फायदा या नुकसान

WHO की वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने यह बात तब कही है, जब देश में कोरोना के हर रोज 40 हजार से 45 हजार के बीच नए केस सामने आ रहे हैं। दूसरे विशेषज्ञ भी लोगों से सावधानी बरतने को कह रहे हैं।
 

Sep 01, 2021 / 11:17 am

Ashutosh Pathak

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नई दिल्ली।

देश में कोरोना के नए केस एक बार फिर बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञ तीसरी लहर आने की आशंका भी जता रहे हैं। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन की मानें तो देश में कोरोना वायरस पेनडेमिक से एनडेमिक की राह पर बढ़ता दिख रहा है और यहां कारोना वायरस का ट्रांसमिशन कम से मध्यम स्तर तक का हो सकता है।
दरअसल, डब्ल्यूएचओ की वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने यह बात तब कही है, जब देश में कोरोना के हर रोज 40 हजार से 45 हजार के बीच नए केस सामने आ रहे हैं। दूसरे विशेषज्ञ भी लोगों से सावधानी बरतने को कह रहे हैं। मौतों का आंकड़ा भी घट-बढ़ रहा है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या यह स्थिति चिंताजनक है। क्या तीसरी लहर की आशंका तेजी से बढ़ती दिख रही है।
डॉक्टर स्वामीनाथन ने कहा कि कोरोना वायरस खासतौर पर भारत में पेनडेमिक से एनडेमिक की ओर बढ़ता दिख रहा है। ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि एनडेमिक है क्या। लोगों पर इसका प्रभाव होगा और यदि कोरोना वायरस भारत में एनडेमिक बन जाता है, तो इसका नुकसान या फायदा क्या होगा।
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बहरहाल, यह पहली बार नहीं है कि कोरोना वायरस के पेनडेमिक से एनडेमिक बनने की चर्चा हो रही है। इससे पहले, मार्च 2020 में यानी जब कोरोना का खतरा भारत में बढ़ रहा था और पहली बार लॉकडाउन लगाया गया था, तभी मशहूर वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर टी. जैकब ने यह आशंका जता दी थी।
देखा जाए तो किसी भी वायरल बीमारी में एनडेमिक वह स्तर होता है, जिसमें यह लोगों के बीच अब हमेशा के लिए बनी रहती है। यानी एक समय के बाद यह बीमारी खत्म हो जाएगी, ऐसा नहीं है। विशेषज्ञों की मानें तो आज भी ऐसी कई बीमारी हैं, जो एनडेमिक बनकर हमारे बीच ही हैं। यह बीमारियां पूरी तरह कभी खत्म नहीं होतीं।
पेनडेमिक यानी महामारी। वह बीमारी जो लोगों को बड़े पैमाने पर संक्रमित करे, नुकसान पहुंचाए। वहीं, एनडेमिक यानी बीमारी का वह स्तर, जो लोगों के बीच भविष्य में बना रहेगा। मनुष्यों में यह लंबे समय तक रहेगी और संक्रमण के जरिए एक से दूसरी जगह फैलेगी।
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विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस मनुष्यों के बीच रहेगा। यानी यह धीरे-धीरे एनडेमिक लेवल पर होगा। पहले भी ऐसे कई वायरस रहे हैं, जो एनडेमिक लेवर पर आकर टिक गए। लोगों में जैसे-जैसे इस वायरस का संक्रमण होगा या वैक्सीनेशन हो जाएगा, तब यह दिखने लगेगा कि वायरस का संक्रमण तो हो रहा है, लेकिन यह उस संख्या या तीव्रता में नहीं हो रहा, जो हम पहली या दूसरी लहर मेंं देख चुके हैं।
वैसे एक महत्वपूर्ण और गौर करने वाला तथ्य यह भी है कि एनडेमिक स्तर पर वहीं बीमारियां पहुंचती हैं, जो मनुष्यों से मनुष्यों के जरिए फैलती हैं। इनमें खसरा, हेपेटाइटिस-ए, हेपेटाइटिस-बी, चेचक और साधारण फ्लू भी शामिल हैं। यह सभी बीमारियां एनडेमिक हैं। दूसरी ओर, अब तक मिले रिकॉर्ड के मुताबिक, कोरोना वायरस किसी जानवर की एक प्रजाति के जरिए मनुष्यों में पहुंचा है। वैसे, इस बात के कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं कि यह वायरस जानवर के जरिए मनुष्य में पहुंचा है।
विशेषज्ञों की मानें तो डेढ़ साल से अधिक का वक्त गुजर चुका है और अभी तक जो सामने आया है कि यह वायरस मनुष्यों से मनुष्यों के बीच फैल रहा है। ऐसे में यह एनडेमिक स्तर पर पहुंच सकता है। हां, यह जरूर हो सकता है कि किसी वक्त यह जानवर से मनुष्य में आया, लेकिन अब तो मनुष्य से मनुष्य के बीच ही फैल रहा है।
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कोरोना वायरस के एनडेमिक होने का एक उदाहरण इंग्लैंड हो सकता है। यहां करबी 60 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। लोग अब भी संक्रमित हो रहे हैं, मगर गंभीर संक्रमण और मौत के ज्यादा मामले सामने नहीं आ रहे। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में अभी बहुत से लोगों को वैक्सीन लगवाना बाकि है। ऐसे में यहां कोरोना वायरस के एनडेमिक बनने में वक्त लग सकता है और यह समय एक साल का भी हो सकता है।
विशेषज्ञ इस बात से भी सतर्क करते हैं कि यदि कोई पेनडेमिक बाद में एनडेमिक बन जाए तो ऐसा नहीं है कि खतरा टल गया है। एनडेमिक होने के बाद पेनडेमिक लेेवल कभी भी वापस आ सकता है। यह तब हो सकता है, जब लोग बिल्कुल भी सावधानी नहीं बरतेंगे। लापरवही बरतने पर मामले तेजी से बढ़ेंगे।

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