न्यू शेफर्ड रॉकेट दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। मिशन के तहत यह लोगों को अंतरिक्ष की सीमा पार कराएगा, जहां से धरती का नजारा देखने लायक होगा। सेरा के संस्थापक जोशुआ स्कुर्ला और सैम हचिसन का मानना है कि भारत की अंतरिक्ष में दिलचस्पी मिशन को सफल बनाने में काफी मददगार साबित होगा। स्कुर्ला ने कहा, हमें भारत के साथ काम करने में खुशी है, क्योंकि भारत के पास अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी अनुभव है। भारत दूसरे देशों के लिए मिसाल बन सकता है। अपनी ताकत दिखा सकता है।
वोटिंग के जरिए चुने जाएंगे छह लोग
मिशन के लिए कोई भी भारतीय आवेदन कर सकता है। आवेदन के लिए 2.5 डॉलर देने होंगे। लोगों को वोटिंग के जरिए चुना जाएगा। वोटिंग तीन चरणों में होगी। हर चरण में कुछ लोग बाहर होते जाएंगे। आखिर में छह लोग चुने जाएंगे। सेरा के मुताबिक पांच सीटों के लिए देश और क्षेत्र के हिसाब से वोटिंग होगी, जबकि छठी सीट के लिए दुनियाभर के लोग वोट कर सकेंगे।
150 से ज्यादा देशों को मिलेगा मौका
सेरा का मकसद 150 से ज्यादा देशों के लोगों को अंतरिक्ष की सैर कराना है। स्कुर्ला का कहना है कि हमारी कोशिश है कि अंतरिक्ष को सभी के लिए सुलभ बनाएं। दुनिया का हर व्यक्ति अंतरिक्ष की खोज में भूमिका निभा सके। मिशन में जाने के लिए लोगों को कुछ शारीरिक मानकों पर खरा उतरना होगा। जो लोग चुने जाएंगे, उन्हें ब्ल्यू ऑरिजिन की साइट पर तीन दिन की ट्रेनिंग दी जाएगी।