दो साल पहले पीएसएलवी के उत्पादन के लिए पूरी तरह आपूर्ति आधारित बिजनेस मॉडल अपनाया गया है। निजी क्षेत्र को रॉकेट उत्पादन की जिम्मेदारी सौंपने का पहला प्रयास था। इसके लिए एन-सिल ने एचएएल और एलएंडटी के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम के साथ 5 पीएसएलवी के लिए 860 करोड़ रुपए का करार किया था। पूरी फंडिंग एन-सिल ने की है।
अब एलवीएम-3 के उत्पादन के लिए एक नया मॉडल अपनाया जाएगा। यह निजी-सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) पर आधारित होगा। इसमें भारतीय उद्योग से एक साझीदार का चयन किया जाएगा और रॉकेट के इंटीग्रेशन की जिम्मेदारी एन-सिल की होगी। संभावित साझीदार के चयन के लिए एन-सिल ने रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन (आरएफक्यू) जारी कर दिया है।
उन्होंने कहा कि एलवीएम-3 से वन-वेब के 72 उपग्रहों को लॉन्च करने के बाद वैश्विक स्तर पर इसकी मांग बढ़ी है। वैश्विक प्रक्षेपण बाजार में अगले दस वर्षों के दौरान हर साल 5 से 6 एलवीएम-3 मिशन लाॅन्च करने की आवश्यकता हो सकती है। वर्तमान में एलवीएम-3 की उत्पादन की क्षमता प्रति वर्ष केवल 2 है। जब, 5 से 6 एलवीएम-3 लांच करने की आवश्यकता होगी तो उत्पादन क्षमता बढ़ाने के साथ ही हर साल लगभग 3 हजार करोड़ रुपए फंड भी चाहिए। एन-सिल ऐसे साझीदार की तलाश कर रहा है जो इसमें निवेश भी करे।
एन-सिल के कई मिशन कतार में
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसी साल नवम्बर तक एन-सिल का एक वाणिज्यिक मिशन लाॅन्च होगा। यह यूरोपीय कंपनी के उपग्रह के लिए एक समर्पित वाणिज्यिक मिशन होगा। उसके बाद अगले साल की पहली तिमाही में भी एलवीएम-3 से एक वाणिज्यिक मिशन लनून्च होगा। इस बार एलवीएम-3 से एक ही भारी उपग्रह लाॅन्च करने की योजना है। वहीं, लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान के तीन सफल प्रक्षेपणों के बाद कुछ करार हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया की एक कंपनी का उपग्रह एसएसएलवी से लाॅन्च करने की योजना है।
छह कंपनियां चयनित: गोयनका
इन-स्पेस के चेयरमैन पवन गोयनका ने कहा कि एसएसएलवी को भी निजी क्षेत्र के हाथों में देने की तैयारी शुरू हो गई है। एसएसएलवी को निजी क्षेत्र को देने के लिए छह कंपनियों का चयन किया गया था। अब उन्हें रिक्वेस्ट फॉर प्रोपोजल (आरएफपी) दे दिया है। उन्हें 31 अक्टूबर तक अपना प्रस्ताव देना है। उन छह कंपनियों में से किसी का चयन एसएसएलवी तकनीक हस्तांतरण के लिए किया जाएगा। यह ऐसा क्षेत्र है जहां लंबी अवधि को ध्यान में रखकर निवेश करने की आवश्यकता है।
एसएसएलवी का 15 प्रक्षेपण करेगा एन-सिल
पवन गोयनका ने यह भी कहा कि कंपनी को तकनीक हस्तांतरित करने के दो साल पहला एसएसएलवी तैयार करने में दो साल लगेंगे। मानकर चलें कि अगले छह महीने में कंपनी का चयन कर लिया जाएगा और उसके दो साल बाद पहला रॉकेट प्रक्षेपण के लिए तैयार होगा। तब तक, एसएसएलवी के लगभग 15 प्रक्षेपण एन-सिल करेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र तेजी से विकास कर रहा है।