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ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की ओर से किए गए अध्ययन में जल्द से जल्द बूस्टर डोज लेने की जरूरत पर जोर दिया गया है। इस रिसर्च के लिए कोविशील्ड की दूसरी डोज के 180 दिन बाद 24 कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के सीरम सैंपल कलेक्ट किए गए।
इस ग्रुप में लोगों के सीरम सैंपल इंफेक्शन के संपर्क में आने के 14-30 दिन बाद कलेक्ट किए गए थे।
इनमें से सिर्फ 21 मामलों में कंपलीट जीनोम को फिर से प्राप्त किया जा सका।
शोधकर्ताओं के मुताबिक कोविशील्ड के दोनों डोज लेने वाले ऐसे लोग जिन्हें कोरोना नहीं हुआ है उनमें ओमिक्रॉन के खिलाफ सबसे कम एंटीबॉडीज पाए गए। वैसे तो सभी सैम्पल्स ने ओमिक्रॉन के मुकाबले B.1, बीटा और डेल्टा वैरिएंट को ज्यादा प्रभावी ढंग से बेअसर किया। लेकिन सीरम सैम्पल में ओमिक्रॉन के खिलाफ एंटीबॉडी का औसत सबसे कम 0.11 पाया गया। जबकि अन्य मामलों में इसका औसत 11.28 और 26.25 रहा।
इससे पहले नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी ने एक स्टडी के बाद ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर कहा था कि कोविड वैक्सीन के डबल डोज का एंटीबॉडीज लेवल छह महीने के बाद कम होने लगता है।
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