एचआरटीसी की यह बस सेवा करीब नौ माह बाद शुरू हो रही है। सितंबर-2023 को लेह-दिल्ली बस को बंद कर दिया था। देश के सबसे लंबे (1026 किमी) रूट लेह-दिल्ली में बस चार माह तक चलती है। यह यात्रा 32 घंटे में यात्रा पूरी कराती है। अटल टनल बनने के बाद 4 घंटे और करीब 46 किलोमीटर का सफर कम हुआ। पहले यह यात्रा 36 घंटे में पूरी होती है।
यह केलांग डिपो के लिए यह कमाऊ रूट है। लिहाजा केलांग डिपो ने लेह-दिल्ली रूट पर बस के संचालन को लेकर कमर कस ली है। निगम के अधिकारियों ने शुक्रवार को सीमा सड़क संगठन 70 आरसीसी के कमांडिंग आफिसर से सड़क की स्थिति को लेकर बातचीत भी की। उन्होंने कहा कि केलांग से लेह मार्ग बड़े वाहनों के लिए बहाल है।
एचआरटीसी केलांग डिपो के क्षेत्रीय प्रबंधक का कार्यभार देख रहे निगम के अधिकारी उमेश शर्मा ने कहा कि बीआरओ के ओसी रवि शंकर से बात हुई है। उन्होंने भी बस का ट्रायल करने को कहा है। लेह गई निगम की दो बसों के लौटने का इंतजार किया जा रहा है। अगर सड़क बसों के लिए ठीक पाई जाती है तो निगम दो-तीन दिन बाद केलांग से लेह-दिल्ली के लिए सीधी बस सेवा शुरू कर देगा।
दोनों ओर से वाहनों की आवाजाही को लेकर समयसारिणी तय कर दी गई है। दारचा से सरचू की तरफ सुबह 7 से 11 बजे और सरचू से दारचा के लिए दोपहर 2 से 5 बजे समय निर्धारित किया है। इस रूट पर बस यात्री न केवल लंबे सफर का आनंद ले सकेंगे बल्कि बर्फीले चार दर्रों का भी लुत्फ उठा पाएंगे। गौरतलब है कि चार दर्रों के बीच से होकर गुजरने वाली लेह-दिल्ली बस सेवा सितंबर के बाद से बंद है।
दिल्ली-लेह रूट पर जाने वाली यह बस अटल टनल रोहतांग होते हुए बारालाचा दर्रा (16020 फुट), नकी दर्रा (15552 फुट), लाचुंग दर्रा (16620), तंगलंग दर्रा (17480) सहित कई दर्रों से होकर गुजरती है। एक हजार से अधिक किलोमीटर का सफर और ऊंचे-ऊंचे दर्रा से होकर गुजरने वाली बस सेवा के लिए केलांग डिपो का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है।