बता दें कि, पिछले साल मार्च में गृह मंत्रालय ने CPR के FCRA लाइसेंस को रद्द किया था। अब MHA के FCRA डिविजन ने इसका लाइसेंस कैंसिल कर दिया है।
कई विदेशी संगठनों से फंड लेने का लगा था आरोप
दरअसल, थिंक टैंक CPR को कथित तौर पर फोर्ड फाउंडेशन सहित कई विदेशी संगठनों से रुपए लिए थे। थिंक टैंक पर उसने गुजरात की सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के एनजीओ को चंदा देने का आरोप भी लगाया था। गृह मंत्री ने 2016 में ही तीस्ता के एनजीओ सबरंग ट्रस्ट का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया था।
क्या है सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR)
संस्था की वेबसाइट के अनुसार, इस संस्था के मंच पर भारत के थिंकर और पॉलिसी मेकर्स एक साथ आते हैं। ये नीतिगत मामलों पर फैसले लेते हैं। साथ ही सीपीआर भारत की 21वीं सदी की चुनौतियों पर ध्यान देने के साथ ही नीतिगत मुद्दों पर गहन रिसर्च करता है। संस्था का ऐसा कहना है कि इसका उद्देश्य इंडिया के ईको सिस्टम को विकसित करना है।
पहले रद्द हो चुका है लाइसेंस
बता दें कि इससे पहले भी गृह मंत्रालय ने 6 महीने के लिए सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च का FCRA रद्द किया था। हालांकि, बाद में छह महीने के लिए इसे बढ़ा भी दिया गया था। थिंक टैंक ने इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का रुख भी किया था। हालांकि, अब सीपीआर का FCRA लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है।
विदेशी फंडिंग पर सख्त हुई केंद्र सरकार
देश के एनजीओ को विदेशों से मिलने वाले फंड को लेकर केंद्र सरकार सख्ती दिखा रही है। सीपीआर के साथ-साथ न्यूजक्लिक, बेंगलुरु स्थित मीडिया फाउंडेशन और ऑक्सफैम इंडिया सहित कई संस्थान विदेशी फंडिंग को लेकर जांच के दायरे में हैं। सरकार ऑक्सफैम इंडिया का भी FCRA कैंसिल कर चुकी है। रिन्यू करने से भी मना कर दिया।