Heavy rain in Arunachal Praanudesh: पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण हाहाकार मचा हुआ है। पिछले पांच दिनों में लगातार भारी बारिश के कारण कई नदियां उफान पर हैं। इस स्थिति ने कुरुंग जिले को, जो चीन की सीमा से सटा हुआ है, देश से अलग कर दिया है। कुरुंग नदी पर बना पुल बह गया है, जिससे आसपास के 34 गांव प्रभावित हुए हैं। गांव में दो से तीन फीट तक पानी भरा हुआ है। निचले इलाकों में बाढ के हालात बने हुए है। आम लोगों के साथ पालतू और जंगली जानवरों का भी बहुत बुरा हाल है। कई घरों में पानी घुस जाने के कारण सारा सामान खराब हो गया है। लोगों के पास खाने के लिए और पहनने के लिए कुछ नहीं बचा हुआ है।
अरुणाचल के कुरुंग जिले में मूसलाधार बारिश के कारण कुरुंग नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई है। पानी के तेज बहाव से पुल बह गया है, जो कुरुंग कुमे जिले को पास के संग्राम जिले से जोड़ता था। यह पुल पालिन, याचुली, याजली और ईटानगर को भी कनेक्ट करता था और इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी में अहम भूमिका निभाता था। इसके अलावा, यह पुल चीन की ओर जाने वाले सरली और हुरी इलाकों को भी जोड़ता था, जिससे इसका सामरिक महत्व भी है।
34 गांवों पर टूटा कहर
प्रदेश में पिछले पांच दिनों से लगातार भारी बारिश हो रही है। इसलिए नामसाई और वाक्रो जिले की सभी नदियां खतरे के निशान को पार कर चुकी है। बताया जा रहा है कि इन दोनों जिलों के करीब 34 गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है। प्रशासन भी लगातार ग्रामीणों के संपर्क में है और सतर्क कर एहतियाती कदम उठाए जा रहे है। इन सभी गांवों को हाई अलर्ट कर दिया गया है।
तत्काल प्रभावी कदम उठाए
इस स्थिति को देखते हुए, तत्काल प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इस आपदा से प्रभावित लोगों के साथ संवेदना और सहयोग की भावना से कार्य करना आवश्यक है। प्रशासन और संबंधित एजेंसियों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि इस चुनौतीपूर्ण समय में लोगों को यथासंभव सहायता पहुंचाई जा सके।
आपातकालीन बचाव और राहत कार्य: एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन को तत्काल राहत और बचाव कार्यों में जुटना चाहिए। फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना प्राथमिकता होनी चाहिए। वैकल्पिक मार्ग और अस्थायी पुल: प्रभावित क्षेत्रों की कनेक्टिविटी बहाल करने के लिए वैकल्पिक मार्ग और अस्थायी पुलों का निर्माण किया जाना चाहिए।
आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति: प्रभावित गांवों में खाद्य सामग्री, पानी, दवाइयाँ और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए। स्वास्थ्य सेवाएं: स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि जलजनित बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से निपटा जा सके।
स्थानीय प्रशासन और सामुदायिक सहयोग: स्थानीय प्रशासन को समुदायों के साथ मिलकर राहत और पुनर्वास के प्रयास करने चाहिए। सुरक्षा उपाय: सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा उपाय बढ़ाए जाने चाहिए ताकि आपातकालीन स्थिति में तत्काल प्रतिक्रिया दी जा सके।
मौसम पूर्वानुमान: मौसम विभाग के पूर्वानुमानों पर नजर रखनी चाहिए और अगले कुछ दिनों के लिए तैयारी बनाए रखनी चाहिए।