हिमांशु व्यास गुजरात में प्रभारी पद पर थे, उन्होंने शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद हिमांशु व्यास ने कहा था कि कांग्रेस में मुझे अहमियत नहीं दी जाती और न ही हमारी बात सुनी जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में राहुल गांधी से काफी कम लोग मिल पाते हैं। उनसे मुलाकात करना काफी मुश्किल है।
कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद हिंमाशु व्यास ने गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल की मौजूदगी में भगवा का दामन थामा। इस दौरान उन्होंने गुजरात में एक बार फिर भाजपा की ही सरकार बनेगी। आम आदमी पार्टी के आने से कांग्रेस नुकसान में है। इस दौरान हिमांशु व्यास ने यह भी कहा कि पूरे समर्पण के साथ कांग्रेस में काम करने के बाद भी मुझे महत्व नहीं मिला।
मालूम हो कि आज भाजपा के भी एक सीनियर नेता ने पार्टी से इस्तीफा दिया था। खास बात यह है कि आज भाजपा और कांग्रेस दोनों को छोड़ने वाले नेता व्यास समुदाय से ही है। भाजपा के पूर्व मंत्री जय नारारण व्यास ने आज पार्टी यह कहते हुए छोड़ दी थी कि मुझे बीजेपी में साइडलाइन कर दिया गया है। जयनाराण व्यास के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें है, क्योंकि हाल ही में उन्होंने सोनिया गांधी, अशोक गहलोत सहित गुजरात में कांग्रेस के अन्य नेताओं से मुलाकात की थी।
दूसरी ओर सुरेंद्रनगर की वडवान सीट से दो बार चुनाव लड़ चुके हिमांशु व्यास ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा में शामिल होने के बाद हिमांशु व्यास ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की। अब देखना दिलचस्प होगा कि हिमांशु व्यास और जयनारायण व्यास के पाला बदलने से दोनों पार्टियों का क्या कुछ नुकसान या फायदा होता है।