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रेवड़ी का बढ़ता राज : सत्ता के लिए वादे, राज्य के खजाने पर भारी, जानिए चुनावी घोषाणों का हिसाब-किताब

हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता और विपक्ष की घोषणाओं का हिसाब किताब में राज्य के खजाने पर काफी भार पड़ता नजर आ रहा है। राजस्थान, एमपी और छत्तीगढ़ में इस तरह लाभार्थी परिवार रेवड़ी का फायदा उठा रहे।

Dec 10, 2023 / 08:40 am

Shaitan Prajapat

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Growing rule of Rewari: राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में हुए हाल के विधानसभा चुनावों के बाद इन राज्यों में रेवड़ी कल्चर का बढ़ना तय है। सत्ताधारी दलों और उनको चुनौती देने वाले मुख्य विपक्षी दलों भाजपा/कांग्रेस ने मतदाताओं को लुभाने के लिए किसी न किसी प्रकार से लाभकारी योजनाओं यानी ‘रेवड़ी’ का वादा किया था। अब जबकि इन चार में से तीन राज्यों में सत्ता परिवर्तन हो गया है, देखने वाली बात ये है कि इन सभी राज्यों में पहले से चला आ रही कल्याणकारी योजनाओं के साथ नई योजनाएं भी शुरू हो जाएंगी, जिससे इन राज्यों के खजाने की सेहत और अधिक बिगड़ेगी जो कि पहले से ही भारी कर्ज से जूझ रही हैं।


राजस्थान: भाजपा राज में बढ़ेगा रेवड़ी राज

राजस्थान की निवर्तमान कांग्रेस सरकार की नौ लाभकारी योजनाओं का वार्षिक बजट लगभग 36,608 करोड़ रुपए है। यह व्यय जो राज्य के कर राजस्व और गैर-कर राजस्व की एक तिहाई राशि से भी ज्यादा बैठता है। गौरतलब है कि राजस्थान में एक औसत लाभार्थी परिवार को पिछले साल औसतन 2.53 लाख रुपए का लाभ मिला है। लेकिन सत्ता में आई बीजेपी सरकार ने जो वादे किए हैं जिनसे इन परिवारों पर सरकार का खर्च बढ़ना तय है, क्योंकि इनके लिए तमाम नई रेवड़ियों का वादा किया गया है।

जानिए कितना है कर्जा

गौरतलब है कि साल 2021-22 में राजस्थान का अपना कर और गैर-कर राजस्व 1,01,350.44 करोड़ रुपए रहा था, जबकि सरकार पहले ही व्यय (वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान) और सब्सिडी आदि पर 1,47,854 करोड़ रुपए का खर्च करने का वादा कर चुकी है। जबकि मार्च 2022 के अंत में, राजस्थान का सार्वजनिक ऋण 3,53,556 करोड़ रुपए था, जिसमें से 59.36 प्रतिशत का 2029 तक भुगतान किया जाना है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य को अगले तीन वित्तीय वर्षों में यानी 2024-25 तक बाजार कर्ज के रूप में 44,841.10 करोड़ रुपए और 55,375.05 करोड़ रुपए ब्याज के रूप में चुकाने होंगे।


प्रमुख योजनाएं
– 6800×4 – 27200 घरेलू महिलाओं के लिए स्मार्टफोन (एक बार)
– 300 से 750 – बिजली सब्सिडी योजना (मासिक)
– 4500×2(युवती) 4000 (युवा) – 13000 – स्नातकों के लिए बेरोजगारी भत्ता (दो साल तक मासिक)
– 80000 – अविवाहित लड़कियों के लिए स्कूटी (एक बार)

बीजेपी ने किए हैं ये वादे

– किसानों को हर महीने 3000 रुपए पेंशन
– एमएसपी से ऊपर प्रति क्विंटल गेहूं खरीद पर 2700 रुपए –
– शून्य ब्याज पर किसानों को कर्ज के लिए 1 लाख करोड़ रुपए
– बालिका के जन्म पर 2 लाख रुपए का बचत बांड
– वरिष्ठ नागरिकों के लिए हर महीने 1,000 रुपए की पेंशन

राजस्थान की आर्थिक स्थिति

– राज्य के कुल जीडीपी में सार्वजनिक ऋण का हिस्सा – 29.56%
– राज्य के राजस्व की तुलना में खर्च की हिस्सेदारी – 146%


मध्य प्रदेश : लाभकारी योजनाएं

– 1250×3 – 3750 रुपए – महिलाओं के लिए लाड़ली बहन योजना (मासिक)
– 30000 रुपए – नवजात बच्चियों के लिए लाड़ली लक्षमी योजना (एक-बार)
– 55000 रुपए – लड़कियों की शादी के लिए मुख्यमंत्री कन्या विवाह और निकाह योजना (एक बार)
– 1000×3 – 6000 रुपए – घर की तीन महिलाओं के लिए खाद्य सुरक्षा योजना (साल में दो बार)
– 6000 रुपए – किसानों के लिए मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि (सालाना)
– 16000 रुपए – बेरोजगार युवाओं के लिए एमवाइकेकेवाइ (सालाना)
– 25000 रुपए – लैपटॉप वितरण योजना (एक-बार)

बीजेपी ने और क्या किए हैं वादे
– लाड़ली बहना के लिए पक्के मकान और सिलेंडर 450 रु.,
– गेहूं की खरीद 2700 रु. प्रति क्विंटल और धान की खरीद 3100 रु. प्रति क्विंटल पर


मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति
-राज्य के कुल जीडीपी में सार्वजनिक ऋण का हिस्सा – 24.92%
– राज्य के राजस्व की तुलना में खर्च की हिस्सेदारी – 125%

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छत्तीसगढ़ में इस तरह रेवड़ी का फायदा उठा रहा लाभार्थी परिवार
– बिजली बिल किया गया आधा
– 2500×2 – 5000 रुपए – बेरोजगारी भत्ता (दो साल तक मासिक)
– 50,000 रुपए – लड़कियों की शादी के लिए सहायता (एक बार)
– 750 रुपए – किसानों के लिए राजीव गांधी योजना

बीजेपी ने किए हैं ये वादे
– सभी विवाहित महिलाओं के लिए 1000 रुपए
– धान की खरीद 3100 रुपए प्रति क्विंटल पर

छत्तीसगढ़ की वित्तीय स्थिति
– राज्य के जीडीपी में सार्वजनिक ऋण की हिस्सेदारी – 20.73%
– राज्य के राजस्व की तुलना में खर्च की हिस्सेदारी – 108%

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