अब दोनों देशों में बराबर हुई संख्या?
बेंगलूरु और आस-पास के इलाकों के लोगों को अमरीकी वीजा सेवाओं के लिए चेन्नई या हैदराबाद जाना पड़ता था। नए वाणिज्य दूतावास का उद्देश्य इस प्रक्रिया को आसान बनाना है, खास तौर पर कर्नाटक के बड़ी संख्या में छात्रों और पेशेवरों के लिए जो भारत के सॉफ्टवेयर निर्यात में 37 प्रतिशत का योगदान देता है। अब अमरीका के भारत में पांच वाणिज्य दूतावास हैं, जो चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और बेंगलूरु में स्थित हैं। साथ ही नई दिल्ली में दूतावास भी है। इसी तरह, भारत के अमरीका में पांच वाणिज्य दूतावास हैं, जो अटलांटा, शिकागो, ह्यूस्टन, न्यूयॉर्क और सैन फ्रांसिस्को में स्थित हैं। वाशिंगटन डीसी में भारत का दूतावास है।
विदेशी वाणिज्य दूतावासों की भूमिका?
वाणिज्य दूतावास विदेशी शहरों में अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, अपने नागरिकों और विदेशी नागरिकों को विभिन्न सेवाएं प्रदान करते हैं। अपने नागरिकों के लिए वाणिज्य दूतावास आपात स्थितियों में सहायता करते हैं, पासपोर्ट जारी या नवीनीकृत करते हैं, दस्तावेजों को नोटरीकृत करते हैं और जन्म-मृत्यु जैसी घटनाओं को पंजीकृत करते हैं। विदेशी नागरिकों के लिए, वाणिज्य दूतावास यात्रा, काम या अध्ययन के लिए वीजा प्रसंस्करण को संभालते हैं, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं, और व्यापार और निवेश संबंधों को सुविधाजनक बनाते हैं। इसके अलावा वह मेजबान और अपने देश के बीच राजनयिक समर्थन और सहयोग के एक मंच के रूप में कार्य करते हैं। वाणिज्य दूतावास डालने के नियम?
अंतरराष्ट्रीय कानूनों और द्विपक्षीय समझौतों का पालन किया जाता है, मुख्य रूप से वियना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस (1963) के तहत। मेजबान देश से मंजूरी की आवश्यकता होती है। वाणिज्य दूतावासों को विशेष सुरक्षा प्राप्त है; स्थानीय अधिकारी बिना अनुमति के प्रवेश नहीं कर सकते हैं और वाणिज्य दूतावास के कर्मचारियों को आधिकारिक कर्तव्यों के लिए सीमित छूट प्राप्त है। वे वीजा, पासपोर्ट और अपने नागरिकों के लिए सहायता जैसे कार्य संभालते हैं, लेकिन मेजबान देश की राजनीति में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। कोई वाणिज्य दूतावास बंद हो जाता है, तो दोनों देश किसी भी लंबित मुद्दे को हल करने और रेकॉर्ड सुरक्षित करने के लिए मिलकर काम करते हैं।