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दुश्मनों की अब खैर नहीं! सेना में साउंड प्रूफ नैनो ड्रोन की एंट्री, जानिए फ्लाइंग टॉय के फीचर्स

Indian Army: कश्मीर में भारतीय सेना ने फ्लाइंग टॉय के रूप में पहचाने जाने वाले साउंड प्रूफ ब्लैक हॉर्नेेट नैनो ड्रोन को अपने बेड़े में शामिल किया है।

जम्मूJan 15, 2025 / 11:05 am

Shaitan Prajapat

Indian Army: कश्मीर में भारतीय सेना ने फ्लाइंग टॉय के रूप में पहचाने जाने वाले साउंड प्रूफ ब्लैक हॉर्नेेट नैनो ड्रोन को अपने बेड़े में शामिल किया है। यह सीमा पर दुश्मनों की हरकत पर पैनी नजर रखेगा। इससे सीमा पर तैनात सेना की ताकत में इजाफा हुआ है। अखनूर के टांडा में आयोजित नौवें वेटरन्स-डे पर इसे प्रदर्शित किया गया। ड्रोन्स का यह उपयोग सुरक्षा बलों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। छोटे ड्रोन्स न केवल जोखिम को कम करते हैं, बल्कि अधिक प्रभावी और सटीक ऑपरेशनों की संभावना भी बढ़ाते हैं। इनकी तैनाती से न केवल संदिग्धों की पहचान आसान होती है, बल्कि बंधकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी मदद मिलती है।

सीमा पर सुरक्षा ढांचा होगा और मजबूत

पाकिस्तान में छिपे आतंकियों की हरकतों पर नजर रखने के लिए सीमा पर सुरक्षा प्रणाली टाटा रजाक को भी तैनात किया गया है। इस प्रणाली के माध्यम से 18 किलोमीटर तक मानवीय हरकत और 35 किमोमीटर तक किसी भी संदिग्ध वाहन की हरकत का पता लगाया जा सकता है। टाटा रजाक सीमाओं पर महत्त्वपूर्ण प्रहरी बना हुआ है। सेना के एक अधिकारी ने कहा कि सेना ने अपने बेड़े में फोर्स मोटर्स की ओर से बनाए गए भारत में निर्मित, हल्के स्ट्राइक वाहनों को भी शामिल किया है। इससे सेना की ताकत और बढ़ गई है। सेना मार्च तक डेढ़ लाख करोड़ रुपए की नई खरीदारी कर रही है। इससे सीमा पर सुरक्षा ढांचा और मजबूत होगा।
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33 ग्राम का ब्लैक हॉर्नेट कीट जैसा

ब्लैक हॉर्नेट नैनो ड्रोन मात्र 33 ग्राम का है। यह मूल रूप से छोटे हेलिकॉप्टर जैसा है, जो बिना आवाज आसमान में उड़ते कीट की तरह नजर आता है। इसमें दो कैमरे लगे हैं, जो रंगीन फोटो रियल टाइम में भेजने में सक्षम है। यह किसी भी बिल्डिंग में एक खिडक़ी से पहुंचकर सूचनाएं भेज सकता है।

संकीर्ण और संलग्न स्थानों में काम करने की क्षमता

ये ड्रोन्स खिड़कियों, दरवाजों और अन्य छोटे रास्तों से आसानी से प्रवेश कर सकते हैं। घर, कमरे, या इमारतों के अंदर घुसकर वहां के हालात की वास्तविक समय में जानकारी प्रदान कर सकते हैं।

लक्ष्य की पहचान और सत्यापन:

ड्रोन पर लगे सेंसर और कैमरा लक्ष्यों की सटीक पहचान कर सकते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि संदिग्ध व्यक्तियों को सही ढंग से पहचाना जाए। यह बंधक बचाव अभियानों में मददगार है, जहां निर्दोष और संदिग्ध व्यक्तियों के बीच अंतर करना जरूरी है।

बंधक बचाव और आतंकवाद विरोधी अभियान

बड़े ड्रोन्स का उपयोग ऐसे अभियानों में मुश्किल होता है, जबकि छोटे ड्रोन्स संकरी जगहों में भी पहुंच सकते हैं। ये ड्रोन्स मिशन से पहले और दौरान, दोनों समय कीमती खुफिया जानकारी प्रदान कर सकते हैं।

हाथ से नियंत्रित करने की सुविधा

इन ड्रोन्स को आसानी से हाथ से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे जमीनी बलों को तेजी से कार्रवाई का मौका मिलता है। उनकी स्वचालित संचालन क्षमता समय और संसाधनों की बचत करती है।

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