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पेट्रोल, डीजल कार से ज्यादा खतरनाक हैं इलेक्ट्रिक वाहन, सामने आए ये बड़े कारण

Electric vehicles Particle Pollution: ज्यादातर लोग मानते हैं कि पारंपरिक पेट्रोल और डीजल कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) पर्यावरण के लिए बेहतर हैं, क्योंकि वे कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पैदा करते हैं। एमिशन एनालिटिक्स का एक हालिया अध्ययन इस विचार को चुनौती देता है।

Mar 06, 2024 / 03:48 pm

Akash Sharma

Electric vehicles spread more particle pollution than petrol and diesel cars.

पेट्रोल, डीजल कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहन अधिक कण प्रदूषण (Particle Pollution) फैलाते हैं।

Electric vehicles Particle Pollution:उत्सर्जन डेटा (emissions data) का विश्लेषण करने वाली कंपनी एमिशन एनालिटिक्स का एक हालिया अध्ययन में दावा किया गया है कि पेट्रोल, डीजल कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहन अधिक कण प्रदूषण (Particle Pollution) फैलाते हैं। अध्ययन में पाया गया कि EV के ब्रेक और टायर 1,850 गुना अधिक प्रदूषण छोड़ते हैं।

क्या कहती है स्टडी

जैसे-जैसे अधिक लोग जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंतित हो रहे हैं, पर्यावरण के अनुकूल परिवहन विकल्पों में रुचि बढ़ रही है। बहुत से लोग मानते हैं कि पारंपरिक पेट्रोल और डीजल कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) पर्यावरण के लिए बेहतर हैं, क्योंकि वे कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पैदा करते हैं। हालांकि, उत्सर्जन डेटा (emissions data) का विश्लेषण करने वाली कंपनी एमिशन एनालिटिक्स का एक हालिया अध्ययन इस विचार को चुनौती देता है। वॉल स्ट्रीट जर्नल के ऑप-एड में छपा यह अध्ययन इलेक्ट्रिक और गैसोलीन से चलने वाली दोनों कारों में ब्रेक और टायरों से उत्पन्न होने वाले कण प्रदूषण (Particle Pollution) की समस्या की ओर ध्यान दिलाता है।

बताए ये कारण

मुख्य खोज यह है कि EV अपने भारी वजन के कारण, कुशल निकास फिल्टर वाले आधुनिक गैस चालित वाहनों की तुलना में ब्रेक और टायर से काफी अधिक हानिकारक केमिकल छोड़ सकते हैं। अध्ययन से पता चलता है कि यह 1,850 गुना अधिक हो सकता है। चिंता टायर घिसाव को लेकर भी है। एमिशन एनालिटिक्स ने बताया है कि EV के भारी वजन के कारण टायर तेजी से खराब होते हैं, जिससे हानिकारक रसायन हवा में फैल जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकांश टायर कच्चे तेल से प्राप्त सिंथेटिक रबर से बने होते हैं।

बैटरी पर भी हुआ अध्ययन

अध्ययन में बैटरी के वजन के प्रभाव पर भी प्रकाश डाला गया है। पारंपरिक गैसोलीन इंजन की तुलना में EV में आमतौर पर भारी बैटरी होती है। यह अतिरिक्त भार ब्रेक और टायरों पर अधिक दबाव डालता है, जिससे टूट-फूट तेज हो जाती है। रिपोर्ट में उदाहरण के तौर पर टेस्ला मॉडल Y और फोर्ड F-150 लाइटनिंग का हवाला दिया गया है। दोनों की बैटरी का वजन लगभग 1,800 पाउंड है। अध्ययन में दावा किया गया है कि आधा टन (1,100 पाउंड) बैटरी वाली EV से टायर घिसाव का उत्सर्जन आधुनिक गैसोलीन कार से निकलने वाले उत्सर्जन से 400 गुना अधिक हो सकता है। वहीं परंपरागत रूप से फोकस टेलपाइप उत्सर्जन पर रहा है, इस अध्ययन से पता चलता है कि ईवी के पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन करते समय ब्रेक और टायर से पार्टिकुलेट्स प्रदूषण पर विचार किया जाना चाहिए।

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