बता दें कि हाल ही में सरकार ने 4 चुनाव सुधार के प्रस्ताव दिए हैं। वहीं इन 4 सुधारों में सबसे अहम चुनाव आयोग को आधार नंबर को मतदाता सूची से जोड़ने की अनुमति देना है। यह भी साफ किया गया कि यह योजना स्वेच्छा के आधार पर बढ़ाई जाएगी।
बताया गया कि सरकार के चुनावी सुधार से जुड़े इन प्रस्तावों में हर साल चार बार मतदाता सूची में नए मतदाताओं के नाम दर्ज करने से जुड़ा है। बता दें कि मौजूदा नियमों के अनुसार जो लोग 1 जनवरी को 18 साल के होते हैं, उन्हें पूरे साल में एक बार अपना नाम मतदाता सूची में जोड़ने के लिए मौका मिलता है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि आधार के साथ वोटर आईडी जोड़ने से अलग-अलग स्थानों पर एक ही व्यक्ति के नामांकन को रोकने में मदद मिलेगी।
युवाओं को भी मिलेगा लाभ ऐसे में चुनाव आयोग ने मतदाता पंजीकरण के लिए कई कट ऑफ डेट की मांग की है। आयोग का मानना है कि 18 साल की उम्र पूरी होने का समय 1 जनवरी होने की वजह से कई मतदाता इस सूची में शामिल होने से वंचित रह जाते हैं। इसके चलते उन्हें कई बार परेशानी का सामना भी करना पडता है और इस तरह से कई युवा मतदान नहीं कर पाते। इसके चलते ही सरकार ने इन चुनावी सुधारों को प्रस्तावित किया है।
पिछले साल सरकार ने संसद में बताया था कि चुनाव आयोग ने आधार डेटाबेस का इस्तेमाल त्रुटि रहित चुनाव की तैयारी सुनिश्चित करने और प्रविष्टियों के दोहराव को रोकने के लिए करने का प्रस्ताव दिया था। वहीं इसके बाद मंत्रालय को इसके लिए 1951 के लोक प्रतिनिधि कानून में बदलाव की जरूरत महसूस हुई थी। इसके साथ ही आधार अधिनियम 2016 में भी बदलाव की आवश्यकता मालूम हुई। वहीं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि आधार के साथ वोटर आईडी जोड़ने से अलग-अलग स्थानों पर एक ही व्यक्ति के नामांकन को रोकने में मदद मिलेगी।