Indian Railways: रेलवे के सुपर ऐप से मिलेगा ट्रेन का कंफर्म टिकट, आरक्षण और टाइम टेबल के साथ मिलेगी ये खास सुविधाएं
बन रहे हैं मानसिक रोगी
यूनिवर्सिटी ऑफ मिडलसेक्स, लंदन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि बच्चे एक बार पॉर्न देखने के बाद बार-बार उसे खोजते हैं। भारत में ऐसे बच्चों की उम्र 12 से 16 साल है। पोर्नोग्राफी के असर के चलते बच्चे महिलाओं को सेक्स की वस्तु समझने लगते हैं। उन्हें लगता है कि बलात्कार सामान्य यौन प्रक्रिया है। ये बच्चे कम उम्र में ही यौन संबंध बनाने का प्रयास करते हैं और विफल होने पर नशे का शिकार हो जाते हैं।पोर्नोग्राफी से बढ़े अपराध
पोर्न साइटों पर प्रतिबंध के लिए अभियान चला रहे बेंगलूरु के गैर सरकारी संगठन रेस्क्यू के अनुसार मेट्रो शहरों में 10 वर्ष की आयु के बच्चे भी पोर्न देखते हैं। एनजीओ ने 10 कॉलेजों के 400 छात्रों पर सर्वेक्षण के आधार पर बताया कि हिंसक पोर्नोग्राफी देखने वाले युवाओं की संख्या बढ़ रही है। इसमें कॉलेज के छात्र-छात्राओं की संख्या में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। पोर्नोग्राफी युवाओं को यौन अपराधों की ओर ले जा रही है।क्या कहता है देश का कानून
भारत में अकेले पोर्न कंटेंट देखना अपराध नहीं है लेकिन पोर्नोग्राफी गैरकानूनी है। इसे महिला, पत्नी या दोस्त को दिखाना अवैध है। मूवी, फोटो, लिंक शेयर करना या ग्रुप में देखना अवैध है। चाइल्ड पोर्नोग्राफी में पोक्सो एक्ट के तहत सजा का प्रावधान है। हालांकि सामान्य मामले में पांच साल की सजा या 10 लाख के जुर्माने का प्रावधान है।बच्चों के व्यवहार पर नजर रखें
-स्कूलों में यौन शिक्षा अनिवार्य हो और बच्चों-युवाओं से खुलकर बात हो।-बच्चों के मोबाइल पर कोई भी सोशल मीडिया अकाउंट एक्टिव न करें।
-स्कूल में लड़के-लड़कियों को लेकर बच्चे के व्यवहार को टीचर से पूछें।
-बच्चे से दोस्ताना व्यवहार रखें और ब्राउजर हिस्ट्री भी चेक करते रहें।
-बिना बताए बच्चा मोबाइल न ले, संभव हो तो आपके सामने ही पढ़े।
-हर दिन बच्चे से स्कूल की पढ़ाई, दोस्तों और खेल-कूद के बारे में पूछें।
-गलती पर बच्चे को डांटें नहीं बल्कि बैठाकर प्यार से समझाएं।