श्वेता के रजिस्ट्रेशन फॉर्म पर दर्ज था सौतेली मां का नाम
श्वेता ने अपनी पहचान को अपनी जैविक मां से जोड़ने की मांग की थी। उसने कहा कि उसकी सौतेली माँ (Step Mother) का नाम दसवीं कक्षा की सीबीएसई (CBSE) परीक्षा का रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरते समय दर्ज किया गया था लेकिन वह उस समय वह अपने जैविक पिता और सौतेली मां के साथ रह रही थी। मेरे पिता और मेरी जैविक मां के बीच तलाक हो गया था और वह उस समय बच्ची थी और अपने जैविक पिता और सौतेली मां के साथ रह रही थी।
फॉर्म भरने के बाद नहीं बदल सकते मां-बाप के नाम: CBSE
श्वेता ने जब अपनी जैविक मां का नाम आधिकारिक रिकॉर्ड विशेष रूप से दसवीं कक्षा के प्रमाणपत्र में दर्ज करने के लिए सीबीएसई CBSE से संपर्क किया तो बोर्ड ने मौजूदा उपनियमों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि फॉर्म भरने के बाद उम्मीदवार के माता-पिता के नाम में संशोधन की अनुमति नहीं है।
‘दुनिया में बेटी को लेकर जो आई उसे उसके नाम से जाने दुनिया’
न्यायाधीश ने कहा कि यह समझा जा सकता है कि वह कितनी दृढ़ता से महसूस करती है कि उसकी पहचान को दस्तावेजों या प्रमाण पत्रों पर भी शामिल किया जाना चाहिए। उसकी यह चाहत भारतीय संदर्भ में इतने मूल्यवान हैं कि उसे उस महिला की बेटी के नाम से जाना जाए जो उसे इस दुनिया में लेकर आई हैं।
एक महीने में सीबीएसई मां के नाम बदले: High Court
अदालत ने कहा, “इस तरह की अनोखी और व्यक्तिगत परिस्थिति में नियमों की कठोरता के परिणामस्वरूप उसे न्याय से अनुचित रूप से वंचित किया जाएगा। यह कुछ लोगों को मामूली बात लग सकती है। हालांकि दुनिया के लिए इस बात का मतलब हो सकता है कि उसे उसकी जैविक मां के नाम से पहचाना जाए। न्यायालय ने मां के नाम में बदलाव लाने के श्वेता के अनुरोध को “उचित और उचित” बताया और सीबीएसई को एक महीने के भीतर ऐसा करने का निर्देश दिया।