सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रतिबंध सभी के लिए एक जैसे होना चाहिए। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि, ‘हमें लगता है वायु प्रदूषण रोकने के लिए कुछ हो ही नहीं रहा, जबकि इसका स्तर लगातार खराब होता जा रहा है।’
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Delhi Air Pollution: 6 साल में सबसे ज्यादा इस वर्ष नवंबर में जहरीली रही हवा, 377 रहा औसत AQI सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण मामले पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि वायु प्रदूषण के मामले में राजधानी में टास्क फोर्स के गठन की जरूरत है।
इसके गठन से अदालत के निर्देशों का सही से पालन हो सकेगा। विकास सिंह ने कहा कि गुरुवार को दिल्ली में 500 AQI है, जिसकी वजह से लोगों का दमघुट रहा है। ऐसे में सरकार की ओर से लगाए गए प्रतिबंध समान रूप से लागू होने चाहिए।
यही नहीं विकास सिंह ने ये भी कहा कि जो टास्ट फोर्स का गठन किया जाए, उसे फ्लाइंग स्क्वायड की शक्तियां दी जाएं, ताकि निर्देशों का उल्लंघन करने पर तत्काल एक्शन लिए जा सकें।
वहीं सीजेआई ने वायु प्रदूषण के खराब होते स्तर के बीच स्कूल खोले जाने के केजरीवाल सरकार के फैसले पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने फटकार लगाते हुए काह कि छोटे बच्चे स्कूल जा रहे हैं, अखबारों में आ रहा है।
कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम करा रहे हैं और बच्चे स्कूल भेजे जा रहे हैं।
इस पर दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जवाब देने के लिए दो मिनट का वक्त मांगा। इस पर सीजेआई ने कहा कि हम विपक्ष नहीं हैं, जो बेवजह आपकी निंदा करें। हमें बस लोगों की चिंता है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आप कुछ नहीं करेंगे तो हमें एक्शन लेते हुए स्कूलों को बंद करना पड़ेगा।
अगर आदेश चाहते हैं तो आदेश दे देंगे
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को सख्त लहजे में कहा कि अगर सिर्फ आश्वासन और लोकप्रियता के नारों के अलावा कोई काम नहीं हो रहा है। अगर आप आदेश चाहते हैं तो हम आदेश दे देंगे। जरूरत पड़ी तो स्कूलों को भी हम बंद कर देंगे।
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Delhi Crime: एक घर में दो बच्चों समेत मिले चार लोगों के शव, इलाके में दहशत का माहौल 24 घंटे का दिया वक्तशीर्ष अदालत ने सख्त लहजे के बाद प्रदूषण नियंत्रण उपायों के कार्यान्वयन पर कुछ ठोस प्रस्ताव देने के लिए केंद्र के साथ-साथ दिल्ली और अन्य राज्य सरकारों को 24 घंटे का वक्त दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि वह कल सुबह 10.30 बजे बैठेगा, इस दौरान सरकारें संतोषजनक जवाब देने में असफल रहीं तो कोर्ट की ओर से कुछ आदेश पारित किया जा सकता है।