मंगोलियाई मीडिया के अनुसार, नए तिब्बती धर्मगुरु मंगोलिया के एक गणित के प्रोफेसर के जुड़वां बच्चों में से एक है। इन बच्चों का नाम अगुदाई और अचिल्ताई है। बच्चे की दादी मंगोलिया में सांसद रह चुकी हैं। बच्चे के धर्मगुरु होने की खबर सामने आते ही मंगोलिया में लोग जश्न मनाने लगे। समारोह में बौद्ध मतालम्बियों में खासा उत्साह देखा गया। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पहले भी एक मंगोलियाई बच्चे के धर्मगुरु होने की खबरें सामने आई थीं पर दलाई लामा ने इसकी पुष्टि अब की है।
दलाई लामा का यह कदम राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। चीन तिब्बती बौद्ध धर्म की परंपरा में अपने लोगों की नियुक्ति करना चाहता है। जिससे तिब्बत में किसी विद्रोह की आशंका न रहे। चीन इस बात की घोषणा भी कर चुका है कि देश सिर्फ उन लीडर्स को मान्यता देगा जिसे चीनी सरकार चुनेगी। इससे पहले भी 1995 में जब दलाई लामा ने दूसरे सबसे बड़े धर्मगुरु पंचेन लामा को चुना था तो चीन के अधिकारियों से उसे जेल में डाल दिया था।
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा तिब्बत के धर्मगुरु हैं। उनका जन्म 1935 में हुआ था। जब वो 2 साल के थे तब उन्हें पिछले दलाई लामा का पुनर्जन्म कहा गया था। फिर उन्हें 14वें दलाई लामा के रूप में पहचान मिली। तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद 1959 में दलाई लामा हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला आ गए।