DMK के राज्यसभा सांसद एमएम अब्दुल्ला ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखकर CISF के जवानों पर उनके साथ संसद परिसर में दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है। उपराष्ट्रपति को लिखे पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि वह जब संसद परिसर में एंट्री कर रहे थे उस वक्त सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ कर्मियों ने न सिर्फ उनसे संसद परिसर में जाने के उद्देश्य के बारे में पूछा। बल्कि उनके साथ अभद्रता भी की। इसके साथ ही उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि जवान उनसे परिसर के अंदर जाने की जगह के बारे में भी पूछ रहे थे।
अब्दुल्ला ने अपने पत्र में कहा, “मैं सीआईएसएफ कर्मियों के इस व्यवहार से स्तब्ध हूं, जिन्होंने मुझसे संसद में मेरे दौरे के उद्देश्य के बारे में पूछताछ की। एक ऐसा स्थान जहां मैं लोगों और तमिलनाडु राज्य के हितों का प्रतिनिधित्व करता हूं। जब पीएसएस सुरक्षा का प्रभार संभाल रहा था, ऐसा दुर्व्यवहार पहले कभी नहीं हुआ।” पहले संसद की सुरक्षा का जिम्मा पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस (पीएसएस), दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ संभालती थी। यह बताते हुए कि सांसदों को सत्रों के बीच परिसर में जाने से नहीं रोका जा सकता, डीएमके सांसद ने कहा, “मेरा दृढ़ विश्वास है कि संसद सदस्य संसद में प्रवेश कर सकते हैं, भले ही उनके पास कोई आधिकारिक कार्यक्रम न हो और यदि मेरे पास कोई कार्यक्रम है, तो मैं इसे केवल अपने अध्यक्ष को बताने के लिए उत्तरदायी हूँ, जो राज्यसभा के संरक्षक हैं।”
CISF ने आरोपों से किया इंकार वहीं, इस घटना के बारे में जब सीआईएसएफ के अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने सांसद के आरोप को गलत बताया। मामले से अवगत एक अधिकारी ने बताया कि सीआईएसएफ जवान नए सांसद की मदद करना चाहता था और इसलिए उसने उनसे पूछा कि वह कहां जा रहे हैं और क्या उन्हें मदद की ज़रूरत है। माननीय सांसद को नहीं रोका गया।” सीआईएसएफ को संसद भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिलने के बाद यह पहली बार नहीं है जब सांसदों ने रोके जाने और पूछताछ किए जाने पर शिकायत की है। पिछले साल दिसंबर में सुरक्षा उल्लंघन के बाद, जब दो युवक गैलरी से लोकसभा कक्ष में कूद गए थे, उसके बाद सरकार ने परिसर की सुरक्षा सीआईएसएफ को सौंप दी थी।