जज की असली परीक्षा उसके काम
उन्होंंने कहा कि 24 साल न्याय कठिन हो सकता है। मैंने अदालत नहीं छोड़ी, मैंने कुर्सी पर अपनी स्थिति बदल ली। जनता की नजर में किसी भी जज की असली परीक्षा उसके काम और न्याय चाहने वाले पक्षकारों के विश्वास में निहित है। मुझे विश्वास है कि हमारे कंधे काफी चौड़े हैं और हमारे काम पर आम नागरिकों का पूरा भरोसा है।
साहसिक निर्णय में संकोच न करें
सीजेआइ ने कन्नड़ नाटककार शिवराम कारंत को उद्धरित किया कि पेड़ पर बैठे पक्षी को गिरने का कोई डर नहीं होता, क्योंकि पक्षी शाखा पर नहीं अपने पंखों पर भरोसा करता है। उन्होंने न्यायिक अधिकारियाें से कहा कि वे इन शब्दों को ध्यान में रखें और अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखते हुए साहसिक निर्णय देने में संकोच न करें।