आश्चर्य की बात है कि..
विपक्षी भाजपा की ओर से अदालत की अवमानना के रूप में आलोचना की गई। तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने प्रवर्तन निदेशालय टीम पर 5 जनवरी के हमले की जांच के लिए एसआईटी बनाने के अपने आदेश पर रोक लगाकर, संदेशखाली जांच में देरी के लिए उच्च न्यायालय को दोषी ठहराया। अदालत को आज पता चला कि पिछले साल दिसंबर तक 43 एफआईआर दर्ज की गईं थी। इनमें से 42 में आरोपपत्र दायर किए गए। आदिवासी समुदाय के सदस्यों की जमीन हड़पने के मामले में सात मामले दर्ज किए गए हैं। इस पर अदालत ने कठोरता से कहा, ‘आश्चर्य की बात है कि चार साल में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।’
मामले की अगली सुनवाई 6 मार्च को तय की थी
सांसद अभिषेक बनर्जी ने यह भी कहा कि अधिकारियों को गिरफ्तारी के लिए कम से कम एक महीने का समय दिया जाना चाहिए। साथ ही सारदा चिट फंड घोटाले का जिक्र किया, इसमें ED की पूछताछ 2013 में शुरू हुई थी। उन्होंने दोहरी नीति का दावा किया और राज्य पर दावा किया पुलिस बल को अपनी जांच में कभी भी ऐसी छूट नहीं मिलती।