इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सॉलिसिटर जनरल (एसजी) से बुलडोजर कार्रवाई के महिमामंडन को बंद करें। उन्होंने कहा कि बुलडोजर का महिमामंडन करने का काम किया गया है। आप सार्वजनिक सड़क या रेलवे लाइन पर स्थित मंदिर या गुरुद्वारा या मस्जिद को ध्वस्त करना चाहते हैं तो हम आपसे सहमत होंगे लेकिन किसी अन्य मामले में इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने केंद्र से नगर निगम के कानूनों और प्रक्रियाओं का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल (एसजी) ने आदेश पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में विभिन्न राज्यों में नोटिस जारी की गई। मैं पूरे देश से ऐसा करने के लिए नहीं कह सकता हूं। इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि मैं संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत ऐसा आदेश पारित कर रहा हूं। आप दो सप्ताह तक अपने हाथ को क्यों नहीं रोक सकते?
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कृपया आदेश में कहें कि प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई तोड़ फोड़ की कार्रवाई नहीं की जाएगी।” इस पर जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा, “अगर अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला है तो यह संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। आप अपने हाथ रोक लेंगे तो आसमान नहीं गिरेगा। आप एक हफ्ते तक का इंतजार कर सकते हैं।” इस मामले की अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को होगी।
योगी सरकार ने शुरू की थी बुलडोजर नीति
अपराधियों में भय पैदा करने के लिए योगी सरकार ने बुलडोजर से मकान ढहाने का काम शुरू किया था। इसके बाद मध्यप्रदेश और राजस्थान सहित कई प्रदेशों में भी इसी तरह की कार्रवाई की गई। इसके बाद सरकार द्वारा की जा रही बुलडोजर की कार्रवाई पर पक्षपात करने का आरोप लगा। इसमें कहा गया कि बुलडोजर की कार्रवाई केवल एक वर्ग विशेष के खिलाफ ही की जा रही है।