इस मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री की याचिका इस योग्य नहीं है कि उसके आधार पर निदेशालय या सीबीआई को उनके खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई करने से रोका जाए। कोर्ट का कहना है कि अगर देशमुख को इस मामले में अपनी गिरफ्तारी की आशंका है, तो उनके पास किसी भी अन्य वादी की तरह उचित अदालत के पास जाकर राहत मांगने का अधिकार है। ऐसे में निर्णय उनके ऊपर है कि वे जांच में सहयोग करते हुए पूछताछ में शामि होंगे या समन के खिलाफ कहीं और जाएंगे।
कोर्ट ने कहा ईडी को निर्देश दिए कि अनिल देशमुख गिरफ्तारी से डर रहे हैं। ऐसे में ईडी को उन्हें पूछताछ के दौरान सहज महसूस कराना चाहिए। कोर्ट का कहना है कि पूछताछ के दौरान उनके वकील को केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय में इतनी दूरी पर मौजूद रहने की अनुमति दे, जहां वह उन्हें ‘देख सके, लेकिन सुन नहीं सके।