बद्रीनाथ सहित चारधामों के कपाट सर्दियों में भीषण ठंड की चपेट में रहने की वजह से हर साल अक्टूबर—नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं। फिर नए साल अप्रैल-मई में खुलते हैं। बद्रीनाथ मन्दिर में भगवान विष्णु के एक रूप ‘बद्रीनारायण’ की पूजा होती है। यहां उनकी 3 मीटर (3.3 फीट) लंबी शालिग्राम से निर्मित मूर्ति है। जिसके बारे में मान्यता है कि इसे आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में समीपस्थ नारद कुण्ड से निकालकर स्थापित किया था। इस मूर्ति को विष्णु के आठ स्वयं व्यक्त क्षेत्रों (स्वयं प्रकट हुई प्रतिमाओं) में से एक माना जाता है। बद्रीनाथ धाम देश के सबसे प्रसिद्ध और व्यस्त तीर्थस्थलों में से एक है।
पुराणों के अनुसार, भविष्य में बद्रीनाथ के दर्शन नहीं होंगे क्योंकि मान्यता है कि जिस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे। उस दिन के बाद बद्रीनाथ के दर्शन पूरी तरह बंद हो जाएंगे। बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम भी पूरी तरह लुप्त हो जाएंगे। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जोशीमठ में स्थित नृसिंह भगवान की मूर्तिका एक हाथ साल दर साल पतला हो रहा है, जिस दिन यह हाथ लुप्त हो जाएगा। उस दिन बद्री और केदारनाथ धार्मिक स्थल भी लुप्त होना आरंभ हो जाएगा।