अगणित बलिदानो से अर्जित यह स्वतंत्रता, अश्रु स्वेद शोणित से सिंचित यह स्वतन्त्रता।
त्याग तेज तपबल से रक्षित यह स्वतंत्रता, दु:खी मनुजता के हित अर्पित यह स्वतन्त्रता।
इसे मिटाने की साजिश करने वालों से कह दो, चिनगारी का खेल बुरा होता है।
औरों के घर आग लगाने का जो सपना, वो अपने ही घर में सदा खरा होता है।
अपने ही हाथों तुम अपनी कब्र ना खोदो, अपने पैरों आप कुल्हाड़ी नहीं चलाओ।
ओ नादान पड़ोसी अपनी आंखे खोलो, आजादी अनमोल ना इसका मोल लगाओ।
पर तुम क्या जानो आजादी क्या होती है? तुम्हे मुफ़्त में मिली न कीमत गयी चुकाई।
अंग्रेजों के बल पर दो टुकडे पाये हैं, मां को खंडित करते तुमको लाज ना आई ?
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बता दें कि यह वो दौर था जब पाकिस्तान के अमेरिका से संबंध काफी घनिष्ठ थे और दोनों
के बीच में कई समझौते हुए थे। बावजूद इसके अटल जी ने अमेरिका की परवाह न करते हुए पाकिस्तान को अपनी कलम के माध्यम से आड़े हाथों लिया था। अटल जी ने आगे लिखा..
दस बीस अरब डालर लेकर आने वाली बरबादी से तुम बच लोगे यह मत समझो।
धमकी, जिहाद के नारों से, हथियारों से कश्मीर कभी हथिया लोगे यह मत समझो।
हमलों से, अत्याचारों से, संहारों से भारत का शीष झुका लोगे यह मत समझो।
स्वातंत्र्य समर की वेदी पर अर्पित होंगे अगणित जीवन यौवन अशेष।
अमेरिका क्या संसार भले ही हो विरुद्ध, काश्मीर पर भारत का सर नही झुकेगा
एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतंत्र भारत का निश्चय नहीं रुकेगा।
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अटल जी ने दहेज में मांगा था पाकिस्तान
पाकिस्तान के मुद्दे पर अटल बिहारी वाजपेयी हमेशा से ही मुखर रहे। एक साक्षात्कार के दौरान जब महिला पत्रकार ने अटल जी से पूछा कि आप शादी क्यों नहीं कर रहे। इसके जवाब में अटल जी ने दो कहा उसे सुनकर महिला पत्रकार सन्न रह गई। पत्रकार के सवाल पर अटल बिहारी बड़ी बेबाकी से बोले कि मैं आपसे शादी करने के लिए तैयार हूं, लेकिन मेरी कुछ शर्तें हैं। अटल जी ने कहा कि मुझे मुंह दिखाई में कश्मीर चाहिए। इसके साथ ही मुझे दहेज में पूरा पाकिस्तान चाहिए।