एक पुलिसकर्मी के अनुसार, इस अभियान के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पुलिस ने बताया, “ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी किनारे पर बरछल्ला इलाके में नंबर तीन चितलमारी क्षेत्र में घरों को ध्वस्त करने के अभियान में 50 एक्सकेवेटर, भारी मशीनें और बड़ी संख्या में मजदूरों को लगाया गया है।” वहीं एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “अभी तक प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही है और अवैध रूप से रहने वाले लगभग सभी लोग नोटिस मिलने के बाद अपने सामान के साथ जगह खाली कर के जा चुके हैं।”
अधिकारी ने बताया कि ये अभियान सुबह पांच बजे शुरू हुआ है। कार्रवाई तीन चरणों में चल रही है। पहले चरण की कार्रवाई पूर्ण हो चुकी है। कार्रवाई को निर्बाध चलाने के लिए असम पुलिस, अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक इस इलाके में 299 परिवार रह रहे थे, लेकिन करीब आठ महीने पहले नोटिस मिलने के बाद 90% से ज्यादा परिवार जा चुके हैं। इन सभी को नोटिस जारी किया गया था कि उन्हें 3 सितंबर से पहले अपने घर छोड़ने होंगे।
अधिकारी के मुताबिक, इस जमीन पर सबसे अधिक परिवार बंगाली भाषी मुसलमान हैं, उसके बाद बंगाली हिंदू और गोरखा समुदाय के लोग रह रहे थे। इन लोगों को स्वेच्छा से जमीन खाली करने के लिए प्रेरित किया गया। सरकारी जमीन होने के कारण उन लोगों ने जमीन खाली कर दी। वहीं अभी भी कुछ लोग मानने को राजी नहीं हुए। उनका कहना है कि यहां वो लोग पैदा हुए और पले-बढ़े हैं। अपने बच्चों की पढ़ाई की चिंता जताते हुए एक स्थानीय निवासी ने कहा की उनकी शिक्षा का क्या होगा? वहीं, ज्यादातर लोग मान चुके हैं कि यह सरकारी जमीन है। अतिक्रमण मुक्त करने के बाद इसका इस्तेमाल विकास कार्यों में किया जाएगा। बताया जा रहा है कि असम सरकार इस जमीन पर सोलर पावर प्लांट लगा सकती है।