इस कानून में क्या था
असम मुस्लिम मैरिज एंड डायवोर्स रजिस्ट्रेशन एक्ट 1935 में लागू किया गया था, जिसमें मुसलमानों के निकाह और तलाक के पंजीकरण का प्रावधान था। 2010 में इस कानून में संशोधन किया गया, जिसमें ‘स्वैच्छिक’ शब्द को बदलकर ‘अनिवार्य’ कर दिया गया। इस संशोधन के बाद, असम में मुसलमानों के लिए निकाह और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य हो गया। इस कानून के तहत, किसी भी व्यक्ति को मुसलमान होने के कारण निकाह और तलाक के पंजीकरण के लिए राज्य से लाइसेंस प्राप्त करने का अधिकार दिया गया था। यह लाइसेंस केवल मुस्लिम रजिस्ट्रार द्वारा जारी किए जा सकते हैं, जो सरकारी कर्मचारी हो सकते हैं। अधिनियम में मुसलमानों के निकाह और तलाक से संबंधित आवेदन की प्रक्रिया और प्रावधानों का विस्तार से उल्लेख है।