बोडो वाद्य यंत्र बजाते और बाथो धर्म की पूजा अर्चना करते अमित शाह
अनुराग मिश्रा। तेजपुर (असम): नरेन्द्र मोदी जी ने बोडोलैंड की समस्याओं का समाधान किया,यह क्षेत्र हिंसा छोड़कर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। इस महासभा ने बाथो धर्म को बोडो समुदाय के बीच व्यावहारिक और वैज्ञानिक विश्लेषण के साथ जीवन शैली में प्रतिबिंबित कर रखने का काम किया है। अब बाथो पूजा के दिन सरकारी अवकाश होता है।
भारत अनेक धर्मों वाला देश है और बाथो धर्म परंपरागत सनातन धर्म के साथ ही पला बढ़ा है और भारत का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समस्याओं को अलग नज़रिए से देखने और प्रयासों के कारण उत्तरपूर्व में बोडोलैंड समस्या का समाधान हुआ और आज यह क्षेत्र हिंसा छोड़कर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने असम के तेज़पुर में 13वें त्रैवार्षिक बाथो महासभा सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।
बाथो पूजा के लिए असम सरकार ने घोषित किए अवकाश 1962 में गुवाहाटी में दुलाराई बाथो गौथूम की स्थापना हुई और तब से यह बोडो समुदाय और बाथो धर्म के लिए काम कर रहा है। श्री शाह ने कहा कि इस महासभा ने बाथो धर्म को बोडो समुदाय के बीच व्यावहारिक और वैज्ञानिक विश्लेषण के साथ जीवन शैली में प्रतिबिंबित कर रखने का काम किया है। उन्होंने कहा कि असम सरकार ने माघ महीने के द्वितीय मंगलवार को बाथो पूजा के लिए अवकाश घोषित किया है।
मोदी जी के कार्यकाल में पूरे नॉर्थईस्ट में हिंसा की घटनाओं में 73%, सुरक्षाबलों की मृत्यु में 71% और नागरिकों की मृत्यु में 86% की कमी आई है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में नौ शांति समझौते किए हैं और लगभग 9000 युवा हथियार छोड़कर मेनस्ट्रीम में आए हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा 27 जनवरी, 2020 को किए गए समझौते के कारण 1600 से अधिक युवा समाज की मुख्यधारा में आए। उन्होंने कहा कि केन्द्र और असम सरकार ने मिलकर 1500 करोड रुपए का विकास पैकेज इस क्षेत्र के विकास के लिए दिया। शाह ने इस मौक़े पर बाथो धर्म के पारंपरिक वाद्य यंत्रों को बजाया और बोडो द्वारा की जानेवाली विशेष पूजा अर्चना भी की।