बीरभूम घटना के बाद भी बंगाल में हत्याओं का दौर थम नहीं रहा है। नादिया में टीएमसी नेता सहदेव मंडल लहूलुहान अवस्था में सड़क पर पड़े मिले। जिसने देखा वो दंग रह गया। स्थानीय लोगों ने उन्हें बगुला के स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। हालत बिगड़ने पर उन्हें कृष्णानगर अस्पताल ले जाया गया, जहां टीएमसी नेता ने दम तोड़ दिया।
यह भी पढ़ें – TMC नेता की हत्या से गुस्साई भीड़ ने 12 घरों को आग लगाई, दस लोग जिंदा जले
इसी तरह हुबली के तारकेश्वर में महिला पार्षद रूपा सरकार को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि फिलहाल उनकी हालत पहले से बेहतर बताई जा रही है, लेकिन इन दोनों घटनाों ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं।
दरअसल पश्चिम बंगाल में पिछले महीने नगर निकायों के चुनाव हुए थे। इसके बाद से लगातार राजनीतिक हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं।
बीरभूम हिंसा की शुरुआत भी टीएमसी नेता की हत्या से
बीरभूम में भी हिंसा की शुरुआत टीएमसी के एक पंचायत नेता की हत्या से ही हुई थी। इसलिए आशंका जताई जा रही है कि बीरभूम के रामपुरहाट जैसी हिंसा कहीं नादिया में न हो जाए।
रामपुरहाट में भादू शेख की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद 21 मार्च को पूरे जिले में हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में 10 लोगों को जिंदा जला दिया गया है।
हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
बीरभूम हिंसा के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। वहीं सीएम ममता बनर्जी ने इस हिंसा को लेकर घिरने पर यूपी, राजस्थान, मप्र जैसे राज्यों में भी ऐसी हिंसा होने की आड़ लेकर बचने की कोशिश की।
ममता सरकार ने बीरभूम हिंसा की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) बनाया है। मामले में अब तक 22 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
यह भी पढ़ें – बीरभूम हिंसा: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने लिया स्वत: संज्ञान, बीजेपी-टीएमसी नेताओं पर आरोप