छोटे वर्गों-दलों पर फोकस
हरियाणा में लोकसभा चुनाव में सफलता के बाद से बने माहौल से वोट तो बढ़ गया, लेकिन सीटें नहीं बढ़ीं। हरियाणा में एक बड़े वर्ग यानी जाटों को साधने के फेर में जाने-अनजाने अन्य वर्गों की अनदेखी हुई और छोटे दलों ने कांग्रेस की संभावनाएं कम कीं। महाराष्ट्र 288 विधानसभा सीटों वाला बड़ा राज्य है और जातिगत समीकरण भी क्षेत्रवार अलग-अलग हैं। इसे देखते हुए पार्टी ने महाराष्ट्र में सपा, बसपा समेत स्थानीय छोटे दलों की स्थिति का आंकलन भी शुरू किया है। पर्दे के पीछे मान रहे रणनीतिक चूक
हरियाणा के नतीजों पर भले ही खुले तौर पर कांग्रेस ईवीएम को दोष दे रही हो, लेकिन माइक्रो लेवल पर हुई चूक को भी समझ रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने ‘पत्रिका’ से बातचीत में स्वीकारा कि कांग्रेस की रणनीति में चूक रही है। नेताओं की गुटबाजी अपनी जगह थी लेकिन कम संख्या वाले वर्गों के साथ बागियों व निर्दलीयों पर ध्यान ही नहीं दिया गया। ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल सपा और आप को हल्के में लिया गया। दीपेन्द्र हुड्डा का सपा के जनाधार वाला बयान भी यादव बहुल इलाकों में नुकसान कर गया। इसलिए आलाकमान ने महाराष्ट्र के मामले में सभी राष्ट्रीय व स्थानीय नेताओं को सोच-समझकर किसी मुद्दे पर बयान या अपनी राय रखने की सलाह दी है।