चिंता और संदेह पैदा हुआ
ADR ने अपनी रिपोर्ट में यह भी दावा किया है कि अंतिम मतदान प्रतिशत के आंकडें जारी करने में अत्याधिक देरी, निर्वाचन क्षेत्रवार तथा मतदान केंद्र वार आंकड़े उपलब्ध न होने और क्या नतीजे अंतिम मिलान आंकड़ों के आधार पर घोषित किए गए थे, इसकी अस्पष्टता ने चुनाव परिणामों की सत्यता के बारे में चिंता और संदेह पैदा किए हैं। हालांकि, ADR ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि मतों में अंतर की वजह से कितनी सीटों पर परिणामों में बदलाव देखने को मिला।
चुनाव आयोग ने पिछला डेटा हटाया
रिपोर्ट में बताया गया है कि सूरत संसदीय सीट पर कोई मुकाबला नहीं था, इसलिए 538 संसदीय सीटों पर कुल 5,89,691 मतों का अंतर पाया गया। दावा किया गया है कि चुनाव के पहले छह चरणों के लिए वोटर टर्नआउट ऐप पर मतदाताओं की संख्या बिल्कुल सही दिखाई गई थी। लेकिन अंतिम यानी सातवें चरण के मतदान में केवल प्रतिशत में आंकड़े दिए गए थे और चुनाव आयोग ने पिछले डेटा को हटा दिया था।
पिछले लोकसभा चुनाव को लेकर भी किया दावा
साल 2019 के चुनाव के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 542 निर्वाचन क्षेत्रों की मास्टर समरी में 347 सीटों पर विसंगतियां पाई गईं। 195 सीटों में कोई अंतर नहीं था। इन विसंगतियों का अंतर एक वोट (सबसे कम) से लेकर 101,323 वोट (कुल मतों का 10.49 प्रतिशत) तक था। छह सीटें ऐसी थीं जहां मतों में विसंगति जीत के अंतर से अधिक थी। कुल मिलाकर 739,104 मतों का अंतर पाया गया।